
नई दिल्ली/मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। यह भले ही ‘शिष्टाचार भेंट’ के रूप में प्रचारित की गई, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात ने राज्य में मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों को तेज़ कर दिया है। शाह के संसदीय कार्यालय में बंद कमरे में हुई यह 25 मिनट की गोपनीय बैठक महज औपचारिक नहीं मानी जा रही है।
गठबंधन के मतभेद और मंत्रियों के प्रदर्शन पर चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में महायुति (भाजपा-शिंदे-फडणवीस गठबंधन) के भीतर चल रही खींचतान, मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर रणनीति पर चर्चा हुई। खास तौर पर उन मंत्रियों को लेकर विचार किया गया, जो हालिया महीनों में विवादों, आलोचनाओं या सुस्त प्रशासनिक प्रदर्शन के लिए सुर्खियों में रहे हैं। बताया जा रहा है कि संजय शिरसाट, संजय राठौड़, योगेश कदम और माणिकराव कोकाटे जैसे नामों पर विशेष रूप से मंथन हुआ है। इन मंत्रियों को हटाने या पुनर्विनियोजन की संभावनाएँ तलाशी जा रही हैं। सूत्रों का मानना है कि फडणवीस अपने हिस्से के मंत्रियों में कुछ बदलाव चाहते हैं, ताकि सरकार की छवि में ताजगी लाई जा सके और महत्त्वपूर्ण विभागों में नया उत्साह भरा जा सके।
संजय राउत ने दी चेतावनी: “कुछ मंत्री जाएंगे”
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस मुलाकात के बाद बयान दिया कि “कुछ मंत्रियों को बहुत जल्द हटाया जाएगा।” उन्होंने कहा कि यह रणनीति स्थानीय निकाय चुनावों से पहले सरकार की छवि सुधारने और नए समीकरण गढ़ने की कोशिश है। उनका यह बयान, राजनीतिक हलचलों को और हवा देने वाला साबित हुआ है। राजनीतिक समीकरणों के साथ-साथ इस बैठक में औद्योगिक विकास परियोजनाओं, विशेष रूप से एक बड़ी रासायनिक इकाई की स्थापना पर भी चर्चा हुई, जिसे केंद्र की मंज़ूरी मिल गई है। यह परियोजना राज्य में निवेश और रोजगार सृजन को गति दे सकती है, जो आगामी चुनावों के मद्देनज़र सरकार के लिए सकारात्मक संदेश बन सकता है।
ओबीसी आरक्षण और स्थानीय निकाय चुनाव
महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण के मुकदमे के चलते वर्ष 2022 से स्थानीय निकाय चुनाव लंबित हैं। अब जब सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट होती जा रही है, तो सरकार इन चुनावों की तैयारी में जुट गई है। मंत्रिमंडल में फेरबदल को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है — नई टीम, नया चेहरा और चुनावी माहौल में उत्साह का संचार।
उद्धव-राज मंच साझा करने से महायुति में बेचैनी
इस पूरी राजनीतिक हलचल को और रोचक बना दिया हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की एक मंच पर साथ आने की घटना ने, जो लगभग दो दशकों के बाद हुआ। इसे संभावित मराठी एकता गठबंधन के रूप में देखा जा रहा है, जिससे महायुति के समीकरणों पर प्रत्यक्ष दबाव बन सकता है। भाजपा नेतृत्व इस चुनौती को संघनित संगठनात्मक रणनीति और प्रशासनिक सुधारों के ज़रिए टालना चाहता है।