
जब कांग्रेस ईवीएम ले कर आई थी तो विपक्षी बीजेपी ने ईवीएम पर सन उठाते हुए अविश्वसनीय करार दिया था। आज बीजेपी सत्ता में है। बीजेपी पर ईवीएम हैक करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। लंदन में अमेरिकी हैकर ने दुनिया भर के पत्रकारों और नेताओं के सम्मुख ईवीएम हैक कर दिखाया था। उसने यह भी दावा किया था कि भारत में बीजेपी के कहने पर हैक किया था उसकी टीम ने लेकिन उस समय बीजेपी को बदनाम करने की साजिश कही गई। शाह ने 2019 चुनाव समय दावा किया था 303 सीट जीतने की और बीजेपी उतनी ही सीट जीती। कैसे सटीक आंकड़ा दिए थे शाह ने और अब चार सौ पार। स्पष्ट है कि उतनी सीटें जीतने के लिए बीजेपी ने ईवीएम हैक कराए थे और कराने वाली है। विपक्षी बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर रहा है। एक भारतीय इंजिनियर ने हैक कर दिखाया था। ईवीएम में एक चिप लगती है जो जापान बनाता है। बीजेपी के बड़े नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बहुत पहले खुलासा किया था कि चिप को हैक किया जा सकता है। जापान दुनिया को चिप की सप्लाई ज़रूर करता है लेकिन वह ईवीएम से चुनाव नहीं कराता। अमेरिका ब्रिटेन यूरोपीय देश में भी ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव होता है। अब ताजा खुलासा चुनाव आयोग के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एच वाई कुरैशी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उनसे कहा गया था कि ईवीएम हैक करो। उनके अनुसार जापान ने जवाब देते हुए कहा था, हम पागल नहीं हैं। चिप मानव निर्मित है उसे आसानी से हैक किया जा सकता है। इसलिए जापान ईवीएम से चुनाव नहीं कराता। अभी पीएम द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त बातें बदलते रहे हैं। पहले स्वीकार किया कि उनके पास मात्र बीस लाख से कुछ अधिक ईवीएम है। यानी कंपनी ने बनाकर दिए 40 लाख। फिर 19 लाख ईवीएम कहां गई? निश्चित ही वे हैक की जा चुकी हैं जिनका उपयोग विधानसभा चुनावों में किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में चुनाव होते ही ईवीएम खराब हो गई, कैसे? इतनी अधिक ईवीएम खराब कैसे होती हैं? छः ईवीएम मध्यप्रदेश के कब्रिस्तान में मिलना। स्ट्रॉन्ग रूम की उपेक्षा। सुरक्षा न होना। कांग्रेस द्वारा ईवीएम की बरामदगी। बीजेपी नेताओं द्वारा खुले आम पैसे बांटना। पुलिस द्वारा सहयोग। इसे क्या कहेंगे? किस हद तक नीचे गिर सकती है बीजेपी चुनाव जीतने के लिए? यानी चुनाव जीतना, जीते लोगों को खरीदना, सीबीआई और ईडी को पीछे लगाना और फिर पार्टी में शामिल करने का खेल बीजेपी खेल रही है। पांच राज्यों में हवा कांग्रेस के पक्ष और बीजेपी के खिलाफ है। जनता बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने को आतुर है। मुसलमानों को वोट देने नहीं दिया गया। किस तरह चुनाव कराया जा रहा? धर्म का बेजा इस्तेमाल कर रही भाजपा। पुलिस का ले रही सहयोग। अब मुख्य चुनाव आयुक्त एच वाई कुरैशी ने खुलेआम कहा कि उनसे ईवीएम हैक करने को कहा गया। यानी साफ है बीजेपी केवल ईवीएम हैक कर चुनाव जीतना चाहती है। अब विपक्ष, पूर्व मुख्य चुनाब आयुक्त कुरेशी के खुलासे को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट जा सकता है और बैलेट पेपर से चुनाव कराने का आदेश देने का अनुरोध कर सकता है। अब अगर ऐसा होता है तो सुप्रीम कोर्ट ईवीएम को बैन कर बैलेट पेपर से चुनाव कराने का आदेश दे सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी की मंशा पर पानी फिर जाएगा। ईवीएम या बैलेट पेपर दोनों में गड़बड़ी होती है। कभी बूथ कैप्चर तो कहीं फर्जी वोटिंग। यहां तक गणना में भी पक्षपात,सत्ता का दखल और धन का खेल होता है। सबसे पारदर्शी होगा डिजिटल वोटिंग। खर्च शून्य। जनता का पैसा अरबों बचेगा जिसे जनता के हित में व्यय किया जा सकेगा। पता नहीं कब राजनेताओं में ईमानदार सोच विकसित हो।