Sunday, October 19, 2025
Google search engine
HomeUncategorizedमतदाता सूची में गड़बड़ियों की जांच के आदेश, विपक्षी दलों की शिकायत...

मतदाता सूची में गड़बड़ियों की जांच के आदेश, विपक्षी दलों की शिकायत पर चुनाव आयोग सख्त

मुंबई। महाराष्ट्र में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को लेकर विपक्षी दलों की शिकायत के बाद राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त एस.चोकालिंगम ने सभी जिला कलेक्टरों को जांच के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे सहित विपक्षी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा की गई शिकायत के बाद दिया गया है। प्रतिनिधिमंडल ने 14 अक्टूबर को सीईओ एस. चोकालिंगम से मुलाकात कर मतदाता सूची में गड़बड़ियों की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। पिछले कुछ महीनों से महाराष्ट्र और कर्नाटक की मतदाता सूचियों में गड़बड़ियों का मामला चर्चा में है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी इन दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में छेड़छाड़ और ग़लत पंजीकरण को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। इस पृष्ठभूमि में विपक्षी नेताओं ने राज्य और केंद्रीय चुनाव आयोग को सबूतों के साथ दो बार लिखित शिकायत सौंपी थी। मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जिला कलेक्टरों को यह जांचने का निर्देश दिया गया है कि क्या एक ही व्यक्ति का नाम किसी एक ही विधानसभा क्षेत्र में दो स्थानों पर दर्ज है। बताया जा रहा है कि दिवाली की छुट्टियों के बाद अगले सप्ताह तक इस जांच रिपोर्ट को चुनाव आयोग को सौंपा जाएगा। रिपोर्ट पूरी होने के बाद इसे विपक्षी दलों को भी उपलब्ध कराया जाएगा।
विपक्षी नेताओं ने अपने बयान में कई गंभीर प्रश्न उठाए हैं —
नाम हटाए जाने का कारण नहीं बताया गया: 2024 के चुनावों में बड़ी संख्या में नए मतदाताओं का पंजीकरण हुआ, लेकिन अनेक पुराने मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए। विपक्ष का कहना है कि आयोग ने इन नामों को हटाने के कारणों और विवरणों को सार्वजनिक नहीं किया। उन्होंने मांग की कि हटाए गए नामों की सूची और उनके कारण चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाएँ।
नई मतदाता सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की गई: विपक्ष ने आरोप लगाया कि 30 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित मतदाता सूची में अक्टूबर 2024 से जुलाई 2025 के बीच जो नए नाम जोड़े गए थे, उनका विवरण अभी तक जारी नहीं किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह जानकारी जानबूझकर रोकी जा रही है? विपक्ष ने यह सूची तत्काल सार्वजनिक करने की मांग की।
नए मतदाताओं के अधिकारों की अनदेखी: आयोग ने स्थानीय निकाय चुनाव 1 जुलाई 2025 की मतदाता सूची के आधार पर कराने का निर्णय लिया है। इसके चलते जुलाई 2025 के बाद 18 वर्ष पूरे करने वाले युवा मतदाताओं को वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा। विपक्ष ने इस प्रावधान का विरोध करते हुए कहा कि चुनाव की घोषणा होने तक 18 वर्ष पूरे करने वाले सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए।
दोहरे पंजीकरण का मुद्दा: मुंबई, पुणे, ठाणे, नासिक और कल्याण-डोंबिवली जैसे शहरों में दूसरे राज्यों से आए कई मतदाताओं के दो स्थानों पर नाम दर्ज होने की शिकायतें हैं। विपक्ष ने सवाल उठाया कि आयोग ने इस पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए हैं? बिहार में ऐसे मामलों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाया गया था, लेकिन महाराष्ट्र में अब तक ऐसा कोई अभियान नहीं शुरू किया गया है। विपक्ष ने डी-डुप्लीकेशन पद्धति से दोहरे पंजीकरण हटाने की मांग की है।
वीवीपैट का मुद्दा: विपक्षी नेताओं ने आयोग के इस निर्णय पर भी आपत्ति जताई कि नगर निगम चुनावों में वीवीपैट (VVPAT) का उपयोग नहीं किया जाएगा। आयोग का कहना है कि पर्याप्त वीवीपैट मशीनें उपलब्ध नहीं हैं। विपक्ष ने सवाल उठाया कि जब 2022 में होने वाले चुनाव अब 2026 में कराए जा रहे हैं, तो आयोग ने चार वर्षों में पर्याप्त तैयारी क्यों नहीं की? उन्होंने वीवीपैट के उपयोग को अनिवार्य बनाने की मांग की।
मुंबई महानगरपालिका चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग: विपक्ष ने कहा कि यदि चुनाव आयोग वीवीपैट वाली ईवीएम मशीनें उपलब्ध नहीं करा सकता, तो मुंबई महानगरपालिका के चुनाव पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बैलेट पेपर के माध्यम से कराए जाएँ।
विपक्षी दलों ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी सूरत में मतदाता सूची में छेड़छाड़ या दोहरे पंजीकरण जैसे मामलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और यदि जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी पाई जाती है, तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएँगे। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब महाराष्ट्र में निकाय और विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। इस वजह से यह मुद्दा राजनीतिक रूप से और भी संवेदनशील हो गया है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments