
संभाजीनगर। छत्रपति संभाजीनगर और कर्नाटक में दो अलग-अलग मामलों में साइबर अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी की चौंकाने वाली घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें तकनीक और सामाजिक इंजीनियरिंग का दुरुपयोग करते हुए लोगों से लाखों रुपये ठग लिए गए। पहला मामला छत्रपति संभाजीनगर का है, जहाँ साइबर ठगों ने खुद को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विश्वास नांगरे पाटिल बताकर एक बुजुर्ग दंपति से 78.6 लाख रुपये की ठगी की। दंपति, जिनमें से एक व्यक्ति सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी है और पहले संभागीय आयुक्त कार्यालय में कार्यरत था, को 2 जुलाई से 7 जुलाई के बीच बार-बार फोन और वीडियो कॉल के ज़रिए डराया गया। अपराधियों ने उन्हें बताया कि उनके बैंक खाते से 20 लाख रुपए का संदिग्ध लेन-देन हुआ है, जिसे एक आतंकी खाते से जोड़कर देखा जा रहा है। वीडियो कॉल में फर्जी पुलिस अधिकारी को दिखाकर उन्हें भरोसे में लिया गया। इस मामले की शिकायत क्रांति चौक पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि “डिजिटल गिरफ्तारी” जैसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है और जनता से अपील की गई है कि वे इस तरह के झांसे में न आएं। दूसरा मामला कर्नाटक के हावेरी जिले का है, जहाँ 38 वर्षीय वकील अनिल मोहन बेंद्रे को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एआई -जनरेटेड वीडियो का इस्तेमाल कर 6 लाख रुपए की धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया। जनवरी 2024 में YouTube पर ‘ट्रंप होटल रेंटल्स स्कीम’ नामक एक वीडियो के माध्यम से वकील को निवेश का लालच दिया गया। लिंक पर क्लिक करने के बाद उन्हें एक मोबाइल ऐप डाउनलोड कर बैंक विवरण भरने को कहा गया। शुरुआत में 3 प्रतिशत प्रतिदिन का रिटर्न वादा किया गया, और कुछ रिटर्न भी मिले। भरोसा जमने के बाद उन्होंने 25 जनवरी से 4 अप्रैल के बीच अपनी पत्नी के बैंक खाते से 5.93 लाख रुपए से अधिक विभिन्न खातों में जमा किए। लेकिन कुछ ही समय बाद रिटर्न मिलना बंद हो गया और पैसे निकालना असंभव हो गया। जांच के बाद पुलिस ने 1.5 लाख रुपए की राशि को फ्रीज करने में सफलता पाई है। इन दोनों मामलों ने तेजी से बढ़ती साइबर ठगी के खतरनाक रुझानों की ओर इशारा किया है। पुलिस और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने जनता से सोशल मीडिया पर असत्यापित लिंक पर क्लिक न करने, वीडियो कॉल पर किसी अज्ञात व्यक्ति को व्यक्तिगत जानकारी न देने, और ऑनलाइन योजनाओं में निवेश से पहले सावधानी बरतने की अपील की है।