
मुंबई। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम — ये तीनों नए फौजदारी कानून अब देशभर में लागू हो चुके हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन कानूनों के प्रभावी अमल के माध्यम से राज्य में अपराधों पर अंकुश लगाने और न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को नए कानूनों का व्यापक प्रशिक्षण दिया जाए, साथ ही रिफ्रेशर कोर्स भी नियमित रूप से आयोजित किए जाएं। उन्होंने जोर दिया कि इन कानूनों में आधुनिक तकनीक के उपयोग को प्राथमिकता दी गई है, जिससे दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी। उन्होंने निर्देश दिए कि न्याय चिकित्सा साक्ष्य (फॉरेन्सिक एविडेंस) को सुदृढ़ करने के लिए राज्यभर में फॉरेन्सिक प्रयोगशालाओं का नेटवर्क मजबूत किया जाए। अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में भी फॉरेन्सिक लैब्स की सुविधा विकसित करने की बात कही गई। फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में सात वर्ष से अधिक की सजा वाले अपराधों में फॉरेन्सिक साक्ष्य अनिवार्य कर दिए गए हैं। वर्तमान में फॉरेन्सिक साक्ष्य उपयोग दर 65 प्रतिशत है, जिसे और बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सात वर्ष से कम सजा वाले मामलों में भी फॉरेन्सिक तकनीक के अधिकाधिक उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने जांच अधिकारियों को टैबलेट्स (Tabs) देने की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने के आदेश दिए, जिससे डिजिटल रूप से साक्ष्य संकलन अधिक सटीक हो सके। न्यायिक प्रक्रिया में गति लाने के लिए ई-समन्स, ई-साक्ष्य जैसी योजनाओं को न्यायालय की अनुमति से लागू करने की बात कही गई। साथ ही, कैदियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परिजनों से संवाद की सुविधा भी विस्तारित की जाएगी। ई-कोर्ट्स की शुरुआत की संभाव्यता की समीक्षा भी जल्द की जाएगी। इस उच्चस्तरीय बैठक में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल, पुलिस महानिदेशक रश्मी शुक्ला, विधि और न्याय विभाग की प्रधान सचिव सुवर्णा केवले, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. श्रीकर परदेशी और कारागृह व सुधार विभाग के अपर पुलिस महानिरीक्षक सुहास वारके सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।