Tuesday, July 1, 2025
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वसई-विरार में ईडी की बड़ी कार्रवाई: आर्किटेक्ट और नगर निगम इंजीनियरों पर छापेमारी, सोने में रिश्वतखोरी का संदेह

पालघर। वसई-विरार क्षेत्र में एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। मंगलवार सुबह से शुरू हुई छापेमारी वसई, विरार और मुंबई के 12 अलग-अलग ठिकानों पर की जा रही है। यह कार्रवाई वसई-विरार नगर निगम में टाउन प्लानिंग विभाग के पूर्व उप निदेशक वाई.एस. रेड्डी और नालासोपारा के 41 अवैध निर्माणों की जांच से जुड़ी हुई है। ईडी की इस छापेमारी का केंद्र बिंदु नगर निगम के इंजीनियरों और निजी आर्किटेक्ट्स के आवास बने, जिन पर आरोप है कि इमारतों की अवैध मंजूरी के बदले भारी रिश्वत ली गई — और वह भी नकद नहीं, बल्कि सोने के रूप में।
रेड्डी प्रकरण की कड़ी से जुड़ी कार्रवाई
14 मई को ईडी ने हैदराबाद में वाई.एस. रेड्डी के आवास और वसई-विरार में 13 अन्य ठिकानों पर छापा मारा था। उस कार्रवाई में 32 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जिसमें नकदी और सोना शामिल था। जो जब्त की गई थी। इसके अलावा, कई अहम दस्तावेज भी मिले थे, जो इस घोटाले में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं। ईडी अब रेड्डी की आय से अधिक संपत्ति और अवैध निर्माण के बदले में मिले लाभ के स्रोत की जांच कर रही है। इसी जांच के विस्तार के तहत मंगलवार को नए छापे मारे गए। सूत्रों के मुताबिक बिल्डिंग परमिशन दिलाने के लिए रिश्वत सोने में ली गई, और इन लेन-देन में कुछ निजी आर्किटेक्ट्स की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है। रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई के बाद कुछ आर्किटेक्ट विदेश भाग गए थे, लेकिन हाल ही में वे वापस लौटे हैं, यह मानकर कि जांच ठंडी पड़ गई है। इस पूरे मामले की शुरुआत मार्च 2025 में उस समय हुई जब नालासोपारा पूर्व के अग्रवाल नगर इलाके में बनीं 41 अवैध इमारतों को ध्वस्त किया गया। यह निर्माण कथित तौर पर पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता द्वारा किया गया था। इसके बाद पूर्व नगरसेवक धनंजय गावड़े ने ईडी में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें रेड्डी और नगर निगम अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने सोची-समझी साजिश के तहत अवैध इमारतों को मंजूरी दी और बाद में निर्दोष निवासियों को बेघर करने की भूमिका निभाई। इस कार्रवाई से वसई-विरार क्षेत्र के प्रशासनिक ढांचे में खलबली मच गई है। अभी तक ईडी ने इस छापेमारी का आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन शुरुआती जानकारी से यह स्पष्ट है कि कार्रवाई के दायरे में कई अन्य अधिकारी और निजी प्लानर भी आ सकते हैं।

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