Saturday, June 21, 2025
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संपादकीय:- नहीं रहे दिल्लीवाले अब दिल वाले!

सदियों से दिल्ली के लिए कहा जाता रहा है कि दिल्ली दिल वालों के लिए है यानी दिल्ली देश का दिल है।यहीं से राजपूतों, तुरकों मुगलों और अंग्रेजों के बाद अब काले अंग्रेज देश पर शासन करते आ रहे हैं मगर लगता है दिल्ली अब दिल वालों की नहीं रही।दिमाग वालों का कब्जा हो गया है। यदि ऐसा नहीं होता तो सूर्यपुत्री कालिंदी का जलप्लावन रूपी तांडव नहीं होता। दिल्ली बसी ही यमुना के किनारे। गंगा, यमुना, सरस्वती तीन नदिया मैदानी भाग की प्रमुख नदियां हैं।जो यमुना कभी दिल्ली की प्यास बुझती थी। निर्मल जल धार बहती थी। कालिंदी कूल पर श्रीकृष्ण गोकुल में गौ चराते थे। कदंब की डाल पर बैठ कर वंशी बजाते रहे।कालियानाग का मर्दन जिस पावन यमुना नदी में ही किया था। आज गंदे नाले रूपी कालियनाग दिल्ली में यमुना को विषाक्त कर चुका है। आचमन तो क्या नहाने योग्य भी नहीं छोड़ा दिल्ली के शासकों ने इसी कारण आज यमुना दिल्ली को डुबोने पर आमादा है। यमुना का यह रौद्र रूप सत्ता वालों के वोटबैंक की भूख का नतीजा है। यमुना के एक किनारे पर दिल्ली बसा है तो दूसरे किनारे पर ग्रेटर नोएडा लेकिन आज दिल्ली बाढ़ के पानी में डूब रही है लेकिन नोएडा अछूता है क्यों? क्योंकि दिल्ली राजधानी में बसना खुद को एलिट समझना है।उत्तराखंड में बाढ़ की विभीषिका से भी दिल्ली ने कोई संदेश ग्रहण नहीं किया जहां नदी के बेल्ट में बने चार महल के होटल्स पानी की तेज धार में समा रहे थे।दिल्ली की स्थिति यद्यपि ऐसी नहीं है।रायसीना हिल्स जैसे स्थान ऊंचाई के टापू पर स्थित हैं लेकिन लालकिला भी पानी पानी हो गया है। इस बार बाढ़ का दशकों पुराना रिकॉर्ड टूट गया। वजह एक दो वर्षो की नहीं दशकों पुरानी है। नदियां हों या समुद्र, उसके किनारे की जमीन 500 मीटर तक जीरो लैंड घोषित रही है। जहां कोई निर्माण नहीं किया जाना चाहिए लेकिन दिल्ली में यमुना की पेटी में जो प्रतिबंधित हैं और जहां पहले खेती की जाती थी,उसे बंद करा दिया गया लेकिन वोट बैंक की लालच में पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार के आसपास,दक्षिण दिल्ली के वजीराबाद, पल्लबेल्ट तक, डीएन से लेकर गीता कॉलोनी, ओखला, वजीराबाद, जैत पूरा एक्सटेंशन, सोनिया विहार, राजीव नगर क्षेत्र में कॉलोनियां बस चुकी हैं। ऐसा नहीं कि यमुना बेल्ट की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया। देलही डेवलपमेंट अथॉरिटी ने 2020 में एक रिपोर्ट सौंपी थी कि फ्लड प्लेन में कुल 960 हेक्टेयर जमीन पर घोर अतिक्रमण किया गया है। बाढ़ में दिल्ली को डुबोने के लिए शासन भी जिम्मेदार है। सरकार ने खुद यमुना बैंक, मेट्रो स्टेशन, कॉमन वेल्थ गेम विलेज, मिलेनियम पार्क बस डिपो के निर्माण यमुना के प्रतिबंधित क्षेत्र में कराकर बाढ़ को आमंत्रित किया। इसके अलावा 21 किलोमीटर दूरी क्षेत्र में 20 पुल बनाकर शंघाई बनाने की मूर्खता पूर्ण निर्णय ने यमुना के बेल्ट में सिल्ट जमा होने का कार्य किया है जिस कारण यमुना छिछली हो गई। दूसरी तरफ दिल्ली के गंदे नाले यमुना में गिराए जाने से यमुना पूरी तरह प्रदूषित हो गई है।किनारे झाग ढेरों में देखे गए हैं। पिछले 8 वर्षों में यमुना का जल स्तर दो गुना बढ़ गया है। सीवेज प्लांट्स 35 बनाए गए जिनमें मात्र 9 प्लांट ही मानक के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। यमुना को प्रदूषण मुक्त करने में करोड़ों रूपये कथित रूप से व्यय किए गए।यमुना की दुर्दशा बता रही कि उक्त राशि में अधिकांश भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। बता दें कि यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए दिल्ली ने पिछले 21 वर्षों में 2052 करोड़ ,उत्तर प्रदेश सरकार ने 2387 करोड़ और हरियाणा सरकार ने 549 करोड़ दिए। सन 2017 से 2021 तक 8856.91 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद यमुना का पानी जो पहले जल कहलाता था और दिल्ली की प्यास बुझाता था आज आचमन तो दूर नहाने योग्य भी नहीं रहा।यमुना का पानी नीला हो गया जिसे प्रयाग संगम के पास स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। तब दिल्ली में यमुना का क्या हाल होगा यह सहज ही अनुमान लगाकर जाना जा सकता है।
दिल्ली के बाढ़ में डूबने का कारण हरियाणा में बने हथिनी कुंड बैराज को बताया जाता है।कुछ हद तक कारण सही है क्योंकि हथिनी कुंड बैराज से इस बार 3 लाख 9 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। यह बैराज यमुना के पानी को चार राज्यों में बंटवारे के लिए बनाया गया था लेकिन सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में दिखाया गया है कि बैराज का सारा पानी दिल्ली की ओर बहने वाली यमुना में छोड़ा गया जबकि उत्तर प्रदेश को जाने वाली नहर बिलकुल सूखी दिख रही। इसका मतलब है बीजेपी की खट्टर सरकार ने दिल्ली की आप सरकार को बदनाम करने की साजिश के तहत छोड़ा गया सारा पानी ताकि बाढ़ का सारा ठीकरा दिल्ली और एम आई डी सी में काबिज आप सरकार पर फोड़ा जा सके। बीजेपी की आईटी सेल झूठ परोसकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर तोहमत लगा रहा है ताकि दिल्ली वालों की नजर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को खलनायक बताया जा सके। अब हथिनीकुंड बैराज की बात करें।यह बैराज जब बनाया गया था तब बैराज का रिवर बेड 323 मीटर था जो आज 315 मीटर हो गया। इसका अर्थ है 8 मीटर ऊपर उठ गया है।क्योंकि यमुना का पानी तेज बहाव वाला होने से पानी की तेज धारा के साथ बड़े बड़े पत्थर आकर बैराज के रिवर बेड को ऊंचा करने से पानी संग्रह क्षमता कम हो गई है।खट्टर सरकार यदि चाहती तो रिवर बेड की खुदाई के पानी रोकने की क्षमता बढ़ा सकती थी। सच तो यह है कि हमारे देश की सरकारें सत्ता प्राप्ति के लिए वोट बैंक बनाने, विरोधियों को बदनाम करने में लगी रहती हैं। आरोप प्रत्यारोप लगाकर जनता को भ्रमित बनाकर मूर्ख बनाती रहती है। सारा देश ही नहीं विश्व जानता है कि जनता की वास्तविक सुविधा के लिए काम करने वाली ईमानदार पार्टी आप और अरविंद केजरीवाल को नीचा दिखाने में कांग्रेस और बीजेपी पीछे नहीं रहती। अभी अभी सुप्रीमकोर्ट ने प्रशासनिक अधिकार आप सरकार को अपने आदेश में दिए थे लेकिन मोदी सरकार ने दिल्ली की जनता की नजरों में खलनायक बताने के लिए अध्यादेश लाकर आप सरकार को काम नहीं करने दिया। कांग्रेस और बीजेपी जान ले अब दिल्ली सरकार पर कब्जा कर पाना दोनो के लिए असंभव है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को शिक्षा, चिकित्सा, बिजली पानी की जो सौगात देकर दिल्ली वालों के दिल में स्थान बना लिया है वह अमिट है।

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