कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में पहले कन्याकुमारी से कश्मीर तक चार हजार किलोमीटर भारत जोड़ों यात्रा शुरू की।प्रतिसाद अच्छा मिला। विचार धारा की लड़ाई बताने वाले राहुल गांधी ने अब न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू की। उत्तर पूर्वी प्रदेशों के बाद जब न्याय यात्रा असम पहुंची तो बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ताओं ने काफिले पर पत्थरबाजी की।पोस्टर फाड़े। लाठियों से वाहनों के शीशे तोड़े।उसी भीड़ ने जब राहुल गांधी की यात्रा बस को घेर लिया तब राहुल गांधी बस से नीचे उतरे, बीजेपी आरएसएस के लोग दुम दबाकर भाग निकले। राहुल ने उनकी नफरत के बदले प्यार की फ्लाइंग किस दी। भाषण में कहा,मोदी मणिपुर जो जल रहा है। अभी तक नहीं गए।सवाल है न्याय यात्रा पर हमले के लिए कौन जिम्मेदार है। एक फोन दिल्ली या गौहाटी से आता है। राहुल गांधी पर असम सरकार एफआईआर करती है क्योंकि राहुल गांधी ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले मुख्यमंत्री विश्व शरमा को देश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताया था। असम में राहुल गांधी के काफिले पर पत्थर बाजी और डंडे से प्रहार,पोस्टर फाड़े जाने की घटना के पीछे बीजेपी और आरएसएस का हाथ है।आखिर न्याय यात्रा का बीजेपी और आरएसएस विरोध क्यों कर रही? अभी तो असम में यह हाल है। जब बुलडोजर बाबा के यूपी में न्याय यात्रा पहुंचेगी तो वहां क्या होगा? न्याय यात्रा का समापन मुंबई महाराष्ट्र में किया जाएगा जहां शिवसेना और राकांपा को खरीद और भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को भ्रष्टाचार से लड़ाई के नाम पर मिलाकर सरकार बनाया गया। तब क्या होगा जब राहुल गांधी मुंबई में बीजेपी की नीतियों को लेकर सिंह गर्जना करेंगे? सवाल है बीजेपी राहुल गांधी की अब न्याय यात्रा पर एफ आई आर कर पत्थरबाजी और लाठी डंडे से वाहनों को क्षति पहुंचाकर क्या जताना चाहती है। यह देखना होगा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में राहुल गांधी की न्याय यात्रा के साथ कैसा सलूक किया जाता है। बीजेपी और आरएसएस के द्वारा की जा रही गुंडागर्दी पर कांग्रेसी अध्यक्ष खड़गे ने बरसते हुए कहा, हम अंग्रेजों की बंदूकों गोलियों से नहीं डरे तो फिर इनसे क्यों डरेंगे। स्मरणीय है कि आरएसएस और बीजेपी के पूर्वजों ने अंग्रेजी दासता के विरुद्ध किसी आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया। उलटे पाकिस्तान बंटवारे के लिए मुस्लिम लीग जो आजादी की लड़ाई में कहीं नहीं थी हिंदू संगठन जिसके सावरकर जैसे लोग थे अंग्रेजों के पिट्ठू बने रहे। सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के खिलाफ लड़ने के लिए भारतीय युवकों को अंग्रेजी सेना में भर्ती होने को उकसाते रहे। मुस्लिम लीग के साथ मिलकर दो प्रांतों में सरकारें बनाई उनसे हमारी विचारधारा की लड़ाई है।