
अब लोकसभा चुनाव पूर्व सदन में सीएए लागू करने की घोषणा कर कहा कि कोई भी सीएए लागू करने से रोक नहीं सकता। अब यह भाषा क्या गृह मंत्री पद के अनुरूप है? जिसमें दंभ झलक रहा। इसे सामान्य भाषा में कहा जा सकता है। पूर्व के बने कांग्रेस के समय कानून के अंतर्गत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू जैन सिख को भारतीय नागरिकता दी गई थी। अब सीएए द्वारा ऑनलाइन उन्हें नागरिकता दी जाएगी। उन्हें बस यह बताना होगा कि बिना कागजात वे भारत में कब आए? कागजात मांगे नहीं जाएंगे। चुनाव पूर्व पुनः सीएए का जिन्न बोतल से बाहर वोट बैंक या हिंदुओं के ध्रुवीकरण की राजनीति की जा रही है। इसके पूर्व भी जब सीएए संसद से पास कराकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से कानून बनाया गया था तब विरोध में शाहीन बाग में मुस्लिम औरतों द्वारा महीनों विरोध प्रदर्शन हुआ था। पूरे देश में शाहीन बाग बन गया था तब वहां धरने पर बैठी बुजुर्ग महिलाओं को भी अपशब्द बोले जा रहे थे सीआईए एजेंट, पाकिस्तानी देशद्रोही और बहुत कुछ कहा गया था। सरकार तब से एक्स्टेंशन लेती रही। चार साल बाद ऐन चुनाव के समय लागू कर आग लगाकर स्वार्थ की रोटी सेंकने जा रही सरकार। शरणार्थी हिंदुओं को नागरिकता दीजिए किसी को ऐतराज़ न होगा लेकिन जब मंशा भारत में १९४७ पूर्व से रहने वाले मुसलमानों को छेड़ेंगे तो
मतलब साफ होगा पक्षपात। देश की माटी में जितना खून हिंदुओं का सना है। उससे कम मुसलमानों का नहीं। मुसलमान यहां वे हैं जिनके बाप दादा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़े थे। उनमें हमारे पुरखे हिंदुओं का खून है। वे हमारे अपने हैं। जाति पात और हिंदू मुस्लिम करने वाले वही हैं जिन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया। वफादारी की। वे क्या सिखाएंगे कि देशभक्ति क्या होती है। देशभक्ति उनसे पूछिए जो अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए अपने प्राण तक दे डाले थे। आरएसएस का हिंदुत्व कभी भी भारत का हिंदुत्व नहीं हो सकता। भारतीय हिंदुत्व सर्वेभवंतु सुखिनाः और वसुधैव कुटुंबकम् को जीता है। संकुचित विचार धारा और कट्टरता का नहीं है भारतीय हिंदुत्व। अपने निहित स्वार्थ के लिए हिंदुओं मुसलमानों को लड़ाना भारतीय हिंदुत्व को स्वीकार नहीं होगा। इसी बीच राजनीति में धर्म को घुसेड़कर राम के नाम की राजनीति कर रही बीजेपी। सच तो यह है कि राम से बीजेपी को कोई मतलब नहीं है न सनातन धर्म से। राम का नाम और धर्म का सहारा लेकर पुनः सत्ताप्राप्ति उचित नहीं। राम को राम ही रहने दीजिए। कोटि कोटि हिंदुओं की श्रद्धा है राम में। राजनीति में राम का नाम घुसेड़ना स्वार्थ है और स्वार्थ दैत्य कर्म है। भारतीय मनीषा स्व में नहीं सर्व में विश्वास करता है। यही सनातन धर्म भी है। मत फैलाए विवाद राम के नाम पर। हिन्दुस्थान को हिंसा की आग में जलाने की मंशा और कोशिश देश के करोड़ों हिंदू सनातनी सहन नहीं करेंगे। याद रहे जब नारा लगता है। जो राम को लाए हैं। हम उनको ही लाएंगे तो अज्ञानता प्रकट होती है। समष्टि के नियंता राम मनुष्य पशु पक्षी जीव जंतु को लाने और पालने वाले हैं। उन्हें लाने में कोई कैसे समर्थ हो सकता है? किसी के कहने से कोई नेता ईश्वर नहीं हो जाता। राम और विष्णु नहीं हो जाता। राम कृष्ण विष्णु होने के लिए उच्च चेतनात्मक क्षमता अनिवार्य है। शिव होने के लिए गरल यानी हलाहल पीना पड़ता है। सागर मंथन से निकले हलाहल को पीकर अपने कंठ में रोकने और नीलकंठ बनने की शक्ति मनुष्यों में कहां?