लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव विचारधारा की लड़ाई बन चूका है। एक तरफ सत्ता में बीजेपी है जिसके अधीन आईटी, सीबीआई, ईडी है। विपक्षियों पर हमलावर। बीजेपी में शामिल कराने का अभियान अभी भी जारी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के संदर्भ में कहा जा रहा कि वे आज बीजेपी ज्वाइन कर लें कल ही रिहा होंगे। कोर्ट उन्हें जमानत नहीं दे रही जबकि एक भी पैसा किसी आप नेता के घर से बरामद नहीं हुआ। खेल पूरी तरह राजनीतिक है।
दो चरण के चुनाव हो चुके हैं।उतर प्रदेश राजस्थान की सत्ता में बीजेपी है।उत्तर प्रदेश पश्चिमी जिले बीजेपी के गढ़ रहे ।चरण सिंह को। हैरत रत्न पुरस्कार देकर और उनके पोते को बीजेपी में शामिल करा बीजेपी जाटों किसानों में फूट डालना चाहती थी। हुआ उलटा। किसानों ने चौधरी के बेटे को किसान नेता पद से ही हटा दिया। बीजेपी के पास अपने दस साल के कार्यकाल में एक भी ऐसा काम नहीं किया जिसका नाम लेकर वोट मांग सके। कांग्रेसी मेनिफेस्टो को मुस्लिम लीग का बताकर हिंदू मतदाताओं को खासकर बीजेपी के नाराज कर दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर दोनो सत्र के चुनाव में वोट प्रतिशत 2019 के मुकाबले काफी गिरा है। वोट प्रतिशत कम होना बीजेपी के लिए चिंता का विषय है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आधी सीट गंवाने जा रही है बीजेपी। राजस्थान जहां बीजेपी की सरकार है। 400 रुपए सिलेंडर देने का वादा नहीं निभाया गया। राजपूत आंदोलन का प्रभाव। अपनी बैठकों में राजपूत राम की कसम खा रहे बीजेपी को वोट नहीं देने के लिए।तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा कांग्रेस के मेनिफेस्टो जिसमें अग्निवीर योजना को बंद करने की घोषणा की गई है राजस्थान स्वागत कर रहा। राजस्थान के लोगों ने बीजेपी को विधानसभा चुनाव में जिताना अपनी भूल समझा है। राजस्थान में छः से 12 प्रतिशत वोट कम पड़ना बता रहा कि वहां बीजेपी के पक्ष में वोट डालने ही नहीं निकले लोग। यही हाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश का भी है। राजपूत फैक्टर वहां भी चल रहा है। खुलेआम नारे लगाए जा रहे। योगी तुझे बैर नहीं मोदी तेरी खैर नहीं ने बीजेपी का सारा गणित ही बिगड़कर रख दिया है। पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर जतिन प्रसाद को देना बड़ी चूक है बीजेपी की। योगी सरकार के सबसे भ्रष्ट मंत्री। मौर्या का क्रिमिनल रिकार्ड सामने आ चुका है। राजनीति के जानकर बताते हैं और जिस तरह से छोटे दुकानदार किसान युवा शिक्षित बेरोजगार सबमें बीजेपी के प्रति रोष है। सबके साथ बीजेपी ने धोखा किया है। बीजेपी के वोटर घर से बाहर ही नहीं निकले। बंगलौर जैसे महानगर में भी वोट प्रतिशत कम हुआ। वोट कम होने का असर सत्तारूढ़ दल के खिलाफ हमेशा जाता रहा है। वोटरों में उत्साह की कमी का कारण है उनकी सोच। ईवीएम से बीजेपी जीत जाएगी तो वोट देने का मतलब ही क्या रह जाता है। आगाज ही ऐसा हो तो अंजाम की कल्पना सहज ही की जा सकती है।