
गौरवशाली पीएम मोदी आगामी रविवार को अपने मन की बात का सौवां एपिसोड पूरा करेंगे जिसे भाजपा के कार्यकर्ता तन्मय होकर चिंतन मनन करेंगे। सौ एपिसोड पूरे होने का जश्न भी मनाया जाएगा। यह हमें चक्रवर्ती सम्राट दिलीप की याद दिलाता है जिन्होंने अपना सौवां अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किए। यज्ञ अश्व छोड़े गए लेकिन शत्रकतु देवराज इंद्र को यह पसंद नहीं आया क्योंकि इंद्र को मालूम था यदि दिलीप का सौवां अश्वमेध यज्ञ पूरा हो गया निर्विघ्न तो दिलीप का इंद्र के सिंहासन और इंद्रपुरी पर कब्जा हो जाएगा। आज वैसी स्थिति दिखाई नहीं देती कि किसी विपक्षी दल और नेता को कोई खतरा महसूस होता हो और वह अश्व चुराने की चेष्टा करेगा। जश्न भाजपा ही मना सकती है। देशवासियों की अशिक्षा, बेरोजगारी,गरीबी, भूख मरी, कुपोषण और नक्सलियों द्वारा मारे गए बहादुर जवानों की घटनाओं के बीच।वैसे भी पीएम मोदी केवल अपने मन की बात कहते रहे हैं।कभी जनता के मन की पीड़ा सुनने की इच्छा तक जाहिर नहीं किया।जनता की बात सुनते तो जनता के दुख, दर्द, पीड़ा, दैन्यता, मजबूरी, अशिक्षा, बेरोजगारी, भूखमरी का शायद एहसास हो पाता लेकिन विपक्षियों को मिटाने के लिए उनके पीछे आईटी, सीबीआई और ईडी लगाने से फुरसत मिले तब न। मोदी देश के पहले ऐसे पीएम होने का गौरव ज़रूर पा सकते हैं जिसने सत्ता के नौ वर्षों में कोई पत्रकार सम्मेलन में बुलाए। शायद पत्रकारों के तीखे सवालों से असहज होने का खतरा है। वैसे भी कभी किसी पत्रकार द्वारा सवाल पूछने पर वी बगले झांकने लगते हैं। मौन हो जाते हैं देखा गया है। मौनी बाबा के खिताब से नवाजे गए डॉक्टर मनमोहन सिंह भले मन की बात नहीं करते रहे हों लेकिन हमेशा पत्रकारों के तीखे सवाल का ज़वाब अत्यंत शालीनता से अवश्य देते थे हैं। हम देशवासियों की याददाश्त कुछ कमजोर हो सकती है लेकिन इतनी नहीं कि वह पीएम की बातें भूल जाए। पीएम ने संसद में कहा था कि वे चाहते हैं कि पत्रकार सरकार से तीखे प्रश्न ज़रूर पूछें। उन्हे सरकार से सवाल करने का अधिकार है। लेकिन जब पीएम खुद ही पत्रकार सम्मेलन नहीं बुलाएं तो कोई पत्रकार सवाल पूछेगा कैसे? वैसे भी प्रायः सभी बड़े मालिकों के इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया पर जब सरकार का कब्जा है। जिस कारण गोदी मीडिया कहा जाता है के पत्रकार को चुनकर उसे सुविधाजनक प्रश्न पहले लिखकर देने वाली सरकार के मुखिया आमने सामने बैठकर चंद पूर्व नियोजित सवाल पूछते हैं तो मोदी वहां भी सिर्फ विपक्षियों की गलतियां बताते और परिवारवाद की सत्ता का विरोध करते दिखाते हैं। उनके कार्यक्रम कोई देखे, नहीं देखे लेकिन भाजपाई जरूर देखते हैं और भाजपा सरकार का आईटीसेल उसे हाइलाइट करने, विरोधियों के प्रति फेक न्यूज चलाने लगता है। बीजेपी को छोड़कर देश का एक भी नागरिक पीएम का वह प्रायोजित इंटरव्यू कभी नहीं देखता। वैसे भी जिस तरह पत्रकारों, नेताओं, पूर्व अधिकारियों द्वारा सवाल उठाने पर पुलिस एफआईआर कर जेल में डाल देती है। सीबीआई मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करती है कोई पत्रकार कैसे तीखे सवाल करने का साहस कर सकता है लेकिन वे वास्तविक पत्रकार अब सोशल मीडिया पर सरकार की कब्र अवश्य खोदने में लगे हैं जिससे जनमानस के मन में भाजपा सरकार की कारागुजारियो के प्रति नफरत ज़रूर फैलने लगी है जिसका परिणाम कर्नाटक विधानसभा चुनाव में आएगा बशर्ते वहां ईवीएम से चुनाव कराकर हैक कर नहीं जीता जाए। वैसे भी लगातार हर बार हैकिंग करते रहने से ईवीएम के साथ लगा वीवीपैट छः लाख से अधिक खराब हो गए हैं जिसपर तमाम बुद्धिजीवी आश्चर्य व्यक्त कर चुके हैं। भाजपा सरकार के सद्कर्यो की वास्तविक परीक्षा का परिणाम बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर ही मिलेगा। ईवीएम हैक कर भाजपा द्वारा चुनाव जितना प्रमाणित हो चुका है। साक्ष्य भी दिए जा चुके हैं। परंतु ऐसा लगता नहीं कि चुनाव आयोग बैलेट पेपर से चुनाव कराए क्योंकि सरकारी पिट्ठू पहले ही मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जा चुका है।