
स्मरणीय है जिस असीम दास द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को महादेव ऐप के द्वारा चुनाव हेतु पैसे देने का पीएम मोदी ने ढिंढोरा पीटा था, उसमें जिस ड्राइवर असीम दास को कुरियर बताया गया था, उसी असीमदास ने सुप्रीमकोर्ट, ईडी प्रमुख, प्रधानमंत्री जैसे जिम्मेदारों को पत्र लिखकर अपनी जान की रक्षा की गुहार लगाई है। उसके अनुसार उसके मित्र ने उसे दुबई में बुलाया था, बोला कि वह छत्तीसगढ़ में कनत्रक्सन का काम शुरू कर रहा है जिसकी देखभाल असीम दास को करना था। असीमदस मान गया। इसी बीच उसके लिए बड़े होटल में शूट बुक कराया गया।उसे इनोवा कार दी गई। निर्देश मिलते रहे। उसे कमरे में जाने फिर कमरे से बाहर आकर इनोवा में बैठने का निर्देश मिला। तभी उसके मित्र द्वारा दिए गए आई फोन की सिक दूसरे मोबाइल में लगाकर दे दिया गया। इतने में दो व्यक्ति नोटों की पेटी लाकर रखे इनोवा में। दास को निर्देश मिला अभी और पैसे आएंगे फिर पार्क कर होटल के कमरे में जाने का निर्देश मिला। उसने कार पार्क की और उसी समय उसके पास वीडियो आया जिसमें पांच सौ करोड़ मुख्यमंत्री को देने की बात कही गई। कमरे के पहुंचने पर एक व्यक्ति आया उसने खुद को ईडी वाला बताया। उसने कहा, हमने स्टेटमेंट लिखा है तुम्हें बस साइन करनी है। पत्र में दास ने लिखा कि अंग्रेजी में लिखे कागज पर उससे साइज कराई गई। जबकि उसे अंग्रेजी आती ही नहीं। नीचे उसे ई डी के दो और लोग मिले। इसके बाद अरेस्ट कर इकबालिया बयान में कहा गया भूपेश बघेल को पैसा दिया।उसके पास से सिर्फ पांच करोड़ बरामद हुए थे इनोवा में। भूपेश बघेल ने जवाब दिया था कि उन्होंने महादेव ऐप की जांच कराई। ऐप बंद केंद्र सरकार ने क्यों नहीं बंद कराया। ई डी ने जांच क्यों नहीं की?चुनाव खत्म हो गया। वोटिंग हो चुकी है। परिणाम तीन दिसंबर को आने हैं। अब दास ने पत्र भेजकर साजिश का पर्दाफाश कर दिया। देखना है सुप्रीम कोर्ट क्या एक्शन लेता है। राजस्थान में लाल डायरी की बहुत चर्चा मोदी ने किया। उसकी जांच करनी चाहिए थी। राजस्थान में वोट पड़ रहे हैं। वोटिंग के पूर्व यह नहीं लगा कि वहां पुरानी परंपरा एक के बाद दूसरा मुख्यमत्री बनता है। मतदाता मौन हैं जिससे बदलाव की कोई आशा नहीं दिख रही। सीएम ने जितनी योजनाएं चलाई हैं। राहुल गांधी की रसोई गैस चार सौ में देने, शिक्षा, बिजनेस कृषि के लिए ब्याज रहित लोन देने की घोषणा का हर वर्ग स्वागत कर रहा है। आदिवासियों में मणिपुर का गुस्सा साफ दिख रहा है। पचास के ऊपर सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। देखना है राजस्थान में बदलाव जिसकी उम्मीद बेहद कम है, आता है कि नहीं? मतदाताओं से बात करने में दस में से छः मतदाता कांग्रेस के साथ हैं। गहलौत से जनता नाराज नहीं दिखती। विधायकों पर गुस्सा ज़रूर है लेकिन गहलौत की इमेज और जनहित की योजनाएं उन्हें दोबारा राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर बिठाने पर आमादा है। ईडी के अधिकारी अपने आप भूपेश बघेल को बदनाम और गिरफ्तार करने की साजिश नहीं रच सकती। निश्चित ही सत्ता के दबाव में ऐसा किया। सरकारी गवाह जिसे कुरियर बताया गया उसने कोर्ट में अपने कथित बयान से पलटी मार ली और अब सबको पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहा। उसे भय है कि उसकी कहीं हत्या न कर दी जाए। भूपेश बघेल ने उलटकर कहा था महादेव ऐप पर सरकार ने क्यों नहीं पाबंदी लगाई? यह केंद्र सरकार का दायित्व था। बीजेपी की साजिश पूरी तरह फेल हो गई।