दो कहावतें बहुत पुरानी हैं। एक उगते सूर्य को सभी नमस्कार करते हैं। डूबते सूर्य को कोई नहीं पूछता। जब कि सूर्य सूर्य ही होता है। भले ही उसकी ज्योति कुछ कम हो गई हो। दूसरा डूबती नाव की सवारी कोई नहीं करना चाहता क्योंकि प्राण पर संकट आने की संभावना रहती है। राजनीति में भी यही नियम लागू होता है। जब मोदी के गुजरात मॉडल का प्रचार प्रसार पहले ही किया गया। जिसमें उपलब्धियों में अतिशयोक्ति संभव हो सकती थी परंतु इस अंदाज में परोसा गया कि मासूम और भोली भाली जनता ने बीजेपी को सत्ता में ला दिया। यही नहीं लगभग तीन चौथाई राज्यों में भी बीजेपी की सरकारें बन गई। कांग्रेस सपा बसपा और अन्य दलों को छोड़कर तमाम स्वार्थी अवसरवादी नेता बीजेपी में शामिल हो गए क्योंकि बीजेपी का सूर्योदय हो रहा था। कांग्रेस आदि का सूर्य अवसान पर था। आज बीजेपी का सूरज डूब रहा है। तमाम राज्य उसके हाथ से निकल चुके हैं। शायद अगले विधानसभा चुनाव में और भी कई राज्य उसकी मुट्ठी में से रेत की तरह निकल जाएं। कांग्रेस का सूर्य तब डूब रहा था इसलिए कांग्रेस छोड़कर तमाम अविश्वसनीय नेता पद और सत्ता प्राप्ति की उत्कट अभिलाषा से भाजपा में शामिल हुए थे। कतिपय कारणों से बीजेपी की नौका डूबने वाली लगने लगी है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक राज्य में उसने बीजेपी से सत्ता छीन ली है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों पद यात्रा ने आम जनता का मन मोह लिया है। जिस तरह राहुल गांधी आम लोगों से मिलते रहे। लोगों का दुख दर्द सुनते रहे। ढाढस बंधाते रहे। अब भी कभी सब्जी मंडी कभी धान के खेत में तो कभी किसी गैरेज में बैठकर कार्य करते देखते रहे। रेलवे स्टेशन पर कुली के वस्त्र पहनकर अपने सिर पर बोझा ढोया उससे कुलियों को लगा राहुल गांधी भले ही कांग्रेस और देश के बड़े नेता हों लेकिन उन्हें आम आदमी के साथ बैठने,दुख दर्द सुनने में अपना पन दिखाते नहीं जगाते रहते हैं। आम लोग उन्हें अपना समझने लगे हैं। इसलिए राहुल गांधी को लोग पसंद करने लगे हैं। राहुल की खासियत है लोगों में शीघ्र ही घुल मिल जाना। मणिपुर जो पिछले छः महीने से जल रहा है। दौरा करके जिस तरह पीड़ितो के ज़ख्मों पर बातचीत का मरहम लगाया उससे भी लोगों के दिल में बस गए।इसी बीच विपक्षी दल मिलकर इंडिया नाम का संगठन खड़ा कर रहे थे तब राहुल के शब्द हम और कांग्रेस हर तरह का त्याग करने को तैयार हैं ने उन्हें इंडिया गठबंधन में सिर माथे पर बिठा लिया। जिस तरह बाई इलेक्शन में बीजेपी की हार हुई। जनता को समझ में धीरे धीरे राहुल गांधी और इंडिया में भारत का भविष्य दिखने लगा है। विधानसभा चुनाव पूर्व जिस तरह भगदड़ मची है। थोक के थोक नेता और कार्यकर्ता बीजेपी छोड़कर कांग्रेस ने शामिल हो रहे हैं देश को विश्वास होने लगा है कि बीजेपी का सूर्य अस्ताचल की ओर उन्मुख है। पतन हो रहा है।जैसे जैसे लोकसभा चुनाव निकट आता जाएगा बीजेपी छोड़ने वाले नेताओं की बाढ़ आ जाएगी। वास्तव में आया राम गया राम इसी पार्टी बदलने के कारण अस्तित्व में आया है। हरियाणा प्रांत में बंशीलाल के समय में दल बदल बहुत तेजी से हो रहा था। तभी राजानिक क्षेत्र में आया राम गया राम की उत्पत्ति हुई। तात्कालिक प्रधान मंत्री राजीव गांधी मंत्रिमंडल में गहन चर्चा के बाद संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसके अनुसार एक तिहाई सदस्य यदि कोई पार्टी या दल एक साथ छोड़ते हैं तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी। इससे कम संख्या में दलाबदल गैर कानूनी होगा और सदस्यता खत्म हो जाएगी। महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा छोड़ने वाले हों या असम और मध्यप्रदेश में जहां बीजेपी ने कांग्रेस के लोगों को दलबदल कराकर भाजपा की सरकार बना ली। एक बात जनता के दिल में घर कर गई है कि बीजेपी धन बल की बदौलत ही सारे दलों को तोड़कर राज्यों में अपनी सरकार बना रही जिससे वोटर मायूस हो रहे जिस दल के लोगों को जिताया वही दलबदल्ल कर मतदाताओं के साथ धोखा कर रहा है। आने वाले चुनाव में जनता ऐसे दल बदलू नेताओं को सबक हराकर ज़रूर सिखाएगी।