
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आर-इंफ्रा) के 13 बैंक खातों को जब्त कर लिया है। इन खातों में लगभग 55 करोड़ रुपये की जमा राशि है। यह कार्रवाई हवाला से जुड़े विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन की जांच के तहत की गई है। ईडी के अनुसार, आर-इंफ्रा ने अपने विशेष प्रयोजन वाहनों (एसपीवी) के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा दिए गए जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के ठेके में सार्वजनिक धन का हेराफेरी कर उसे अवैध रूप से यूएई भेजा। जांच में सामने आया कि फर्जी उप-अनुबंध व्यवस्थाओं की आड़ में मुंबई में फर्जी कंपनियों के जरिए धन का अंतरराष्ट्रीय हवाला ट्रांसफर किया गया। इन कंपनियों को समन्वित तरीके से, फर्जी निदेशकों के माध्यम से स्थापित किया गया और फंड को कई परतों के जरिए यूएई भेजा गया। ईडी ने कहा कि जिन यूएई संस्थाओं को धन भेजा गया, उनके बैंक खाते यूएई और हांगकांग दोनों में थे और ये अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क से जुड़े थे। एजेंसी के अनुसार, इन फर्जी संस्थाओं के माध्यम से कुल 600 करोड़ रुपये से अधिक का हवाला लेनदेन हुआ। आर-इंफ्रा ने बुधवार को एक नियामक फाइलिंग में बताया कि उन्हें ईडी से आदेश मिला, जिसके तहत कंपनी के 77.86 करोड़ रुपये पर ग्रहणाधिकार लगा दिया गया है। पिछले महीने ईडी ने अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए तलब किया था, लेकिन उन्होंने केवल “वर्चुअल उपस्थिति” दर्ज कराने का कहा। अंबानी के प्रवक्ता ने कहा कि यह मामला पूरी तरह घरेलू अनुबंध से संबंधित है और इसमें कोई विदेशी मुद्रा शामिल नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि जेआर टोल रोड का निर्माण पूरा हो चुका है और 2021 से यह एनएचएआई के अधीन है। ईडी की जांच में यह भी पाया गया कि फर्जी कंपनियों के माध्यम से भेजे गए निधियों को बिना किसी वास्तविक दस्तावेज या सामान के हीरों के आयात के रूप में यूएई में ले जाया गया। एजेंसी का दावा है कि इस हवाला नेटवर्क से जुड़े लेनदेन का कुल मूल्य 600 करोड़ रुपये से अधिक है। सिर्फ़ बैंक खाते नहीं, अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का भी पता लगाया गया। ईडी ने कहा कि इस कार्रवाई के बाद आगे की जांच में शामिल सभी फर्जी संस्थाओं और उनके संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।




