मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फेयरप्ले बेटिंग ऐप मामले में जांच के दौरान 8.37 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है। यह कार्रवाई क्रिकेट/इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) मैचों के अवैध प्रसारण और ऑनलाइन सट्टेबाजी गतिविधियों के आरोपों के तहत की गई है। ईडी ने 15 जनवरी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया था, जिसमें नई दिल्ली और गुरुग्राम में आवासीय फ्लैटों और वाणिज्यिक कार्यालयों सहित संपत्तियों को कुर्क किया गया। अब तक, इस मामले में जब्त और कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग 344.15 करोड़ रुपये हो गया है। इस मामले की शुरुआत वायकॉम 18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की शिकायत पर हुई, जिसे नोडल साइबर पुलिस, मुंबई ने एफआईआर के माध्यम से दर्ज किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि फेयरप्ले स्पोर्ट एलएलसी और अन्य ने अवैध स्ट्रीमिंग और सट्टेबाजी गतिविधियों के कारण 100 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान पहुँचाया। ईडी की जांच में दो कंपनियाँ, बेफी फिनसर्व प्राइवेट लिमिटेड और ट्रूफंड इनोवेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की पहचान की गई, जिनके द्वारा फेयरप्ले उपयोगकर्ताओं के लिए अवैध भुगतान की सुविधा दी गई थी। जांच में यह भी सामने आया कि फेयरप्ले ने खच्चर और डमी बैंक खातों के माध्यम से धन एकत्र किया और इन निधियों को अवैध रूप से ट्रांसफर किया। इसके अलावा, ईडी के मुताबिक, फेयरप्ले ने बेफी फिनसर्व और ट्रूफंड इनोवेशन द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सेवाओं के माध्यम से 4,500 करोड़ रुपये से अधिक का धनशोधन किया। इन कंपनियों ने अवैध धन को इकट्ठा करने के लिए कई डमी बैंक खातों और संस्थाओं का इस्तेमाल किया, जिससे फेयरप्ले के संचालन को बढ़ावा मिला। फेयरप्ले के वित्तीय संचालन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली फर्मों ने कथित तौर पर शेल संस्थाओं और गैर-केवाईसी खाताधारकों का शोषण किया, जिससे बिना किसी नियामक निगरानी के धन का स्थानांतरण किया जा सका।