Sunday, July 27, 2025
Google search engine
HomeUncategorizedसाजिद इलेक्ट्रिकवाला अपहरण कांड: पुलिस से बचने के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप का...

साजिद इलेक्ट्रिकवाला अपहरण कांड: पुलिस से बचने के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप का इस्तेमाल, मास्टरमाइंड सरवर खान अरेस्ट

मुंबई। मुंबई क्राइम ब्रांच ने कुख्यात ड्रग माफिया साजिद इलेक्ट्रिकवाला के अपहरण मामले में एक बड़ा खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि इस साजिश की योजना सरवर मकसूद खान ने बारीकी से रची थी, जो अब इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। सरवर और उसके साथियों ने पुलिस और साइबर एजेंसियों की निगाहों से बचने के लिए ‘ज़ंगी’ नामक एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल किया। इसी ऐप के जरिए कॉल और संदेशों का आदान-प्रदान हुआ, जिससे पूरे ऑपरेशन की गोपनीयता बनी रही। क्राइम ब्रांच ने जांच के दौरान कई मोबाइल फोन, चैट लॉग, कॉल रिकॉर्ड और एक इंटरनेट डोंगल ज़ब्त किया है, जिनकी फोरेंसिक जांच चल रही है। पुलिस के अनुसार, साजिद के अपहरण के बाद सरवर और उसके साथियों ने उसके परिवार से 51 लाख रुपये की फिरौती वसूली, जो पारंपरिक नकद प्रणाली अंगड़िया नेटवर्क के ज़रिए मंगाई गई थी। लेकिन अब तक केवल 95,000 रुपए की बरामदगी हुई है और शेष रकम गायब है। पुलिस को शक है कि अपहरण के दौरान दो अवैध हथियारों का भी इस्तेमाल हुआ, जो अभी तक बरामद नहीं हुए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि सरवर का संबंध अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील के भाई अनवर बाबू शेख से हो सकता है। अगर यह पारिवारिक संबंध प्रमाणित होता है, तो यह मामला संगठित अंडरवर्ल्ड कनेक्शन की दिशा में बढ़ सकता है। सरवर पर पहले भी साजिद को जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। हालांकि सरवर समेत कुछ आरोपी पुलिस की पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे जांच बाधित हो रही है। इस केस में अब तक कुल 10 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। ताजा गिरफ्तारियों में जितेंद्र मंगलसिंह ठाकुर उर्फ अकबर बाटला, विजय कृष्ण काले उर्फ सद्दाम और हुसैन अब्दुल फरीद खान शामिल हैं। तीनों को एस्प्लेनेड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 29 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पहले से गिरफ्तार आरोपियों में यूनुस उमर तैलवाल पिल, मोहम्मद तौसीफ मोहम्मद हनीफ झेंडी, सतीश भरत कडू, संतोष सीताराम वाघमारे, सरवर मकसूद खान और मेहताब अली शामिल हैं। हालांकि, अब भी पांच आरोपी फरार हैं और पुलिस उनके साथ-साथ फिरौती की बेहिसाब रकम की तलाश में सक्रिय है। यह मामला न केवल एक संगठित अपराध गिरोह की जड़ें उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आज के डिजिटल युग में अपराधी कानून प्रवर्तन से बचने के लिए कैसे एन्क्रिप्टेड तकनीकों का सहारा ले रहे हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments