
मुंबई। मानवीय मूल्य समाज में किसी भी व्यावहारिक जीवन का आधार हैं। ये एक-दूसरे के प्रति प्रेरणा, एक गति के लिए स्थान बनाते हैं। मुंबई के प्रख्यात समाजसेवी डॉ.अनील काशी मुरारका कुछ दिन पहले एक ऑटो रिक्शा में बैठकर कहीं जा रहे थे। रिक्शा एक महिला चला रही थी। उन्होंने उत्सुकता पूर्वक उससे रिक्शा चलाने का कारण पूछा तो सारिका मेस्त्री नामक उस महिला ने बताया कि उसके पति कुछ महीने से बीमार चल रहे हैं, ऐसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था। यही कारण है कि मैं रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजारा कर रही हु। महिला की दर्द भरी कहानी से प्रभावित डॉ मुरारका ने उसका फोन नंबर लिया। रक्षाबंधन के दिन जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके लंबी उम्र की दुआ कर रही थी और भाई उन्हें उनकी मनपसंद का उपहार भेंट कर रहे थे। डॉ मुरारका ने सारिका मेस्त्री से राखी बंधवाकर, एक नए ऑटो रिक्शा का उपहार देकर न सिर्फ उनकी मदद की अपितु मानवीय मूल्यों का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो बहुत कम देखने को मिलता है यह समाज के लिए एक संदेश है। ऑटो रिक्शा देते हुए डॉ अनील मुरारका ने सारिका को आश्वासन दिया कि आज के बाद वह उनके बहन की तरह हैं। यह भाई उनके लिए सदैव खड़ा रहेगा।