गुरुकुल कार्यक्रम के प्रतिभागियों के एक समूह को धर्मगुरु ने किया संबोधित
धर्मशाला:(Dharamsala) तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि वह विभिन्न धर्मों के प्रति गहरा सम्मान रखते हैं। धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना उनकी आजीवन प्रमुख प्रतिबद्धताओं में से एक है। उन्होंने नालंदा परंपरा की प्रशंसा करते हुए उस प्राचीन भारतीय परंपरा को पुनर्जीवित करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता पर जोर दिया जा रहा है।
धर्मगुरु दलाई लामा गुरुवार को अपने आवास पर गुरुकुल कार्यक्रम के प्रतिभागियों के एक समूह को संबोधित कर रहे थे। दलाई लामा ने 21वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म की तिब्बती परंपरा की प्रासंगिकता के बारे में बात करते हुए कहा कि बुद्ध के धर्म के अनुयायी होते हुए भी हम सुनिश्चित करते हैं कि बदलते समय के साथ उनकी प्रभावकारिता और प्रासंगिकता के लिए बुद्ध की शिक्षाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण और परीक्षण किया जाए।
इस मौके पर उन्होंने छात्रों के सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि जहां तक उनके शारीरिक स्वास्थ्य का प्रश्न है, वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। 84 वर्षीय धर्मगुरु ने अपने अनुयायियों को आश्वस्त किया कि वह अगले 20 से 30 वर्षों तक अपना जीवन जीने वाले हैं।