नागपुर। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को एक चौंकाने वाला दावा किया, जिसमें उन्होंने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से बचाने का प्रयास किया था। देशमुख के अनुसार, फडणवीस ने सिंह को महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार को गिराने के लिए उनके (देशमुख के) खिलाफ आरोप लगाने के लिए कहा था। देशमुख ने अपने दावों में कहा कि जब वह महाराष्ट्र के गृह मंत्री थे, तो एक जांच के दौरान पता चला कि परमबीर सिंह उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास जिलेटिन की छड़ें लगाने और स्कॉर्पियो गाड़ी के मालिक की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता थे। देशमुख का कहना है कि इस मामले में सिंह को तीन साल पहले ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, लेकिन गिरफ्तारी से बचने के लिए वह फडणवीस और केंद्र सरकार की शरण में चले गए। देशमुख ने दावा किया कि फडणवीस ने सिंह को आश्वासन दिया था कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, लेकिन इसके बदले उन्हें एमवीए सरकार को गिराने के लिए देशमुख के खिलाफ आरोप लगाने होंगे। इसके बाद ही परमबीर सिंह ने उनके खिलाफ आरोप लगाए। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चंदन गोस्वामी ने इसे फडणवीस को बदनाम करने की साजिश करार दिया। गोस्वामी ने सवाल उठाया कि विपक्ष में रहते हुए फडणवीस पुलिस आयुक्त से ऐसा कैसे कह सकते हैं, जब कि एमवीए सरकार ने खुद परमबीर सिंह को नियुक्त किया था। यह मामला उस समय का है जब परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तराओं से हर माह 100 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था। इस आरोप के चलते देशमुख को 2021 में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। देशमुख ने यह भी दावा किया कि बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे, जो मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटक पदार्थ रखने और एक व्यवसायी की हत्या के मामले में आरोपी हैं, भी फडणवीस के निर्देश पर उनके खिलाफ आरोप लगा रहे थे। वाझे वर्तमान में नवी मुंबई के तलोजा केंद्रीय कारागार में बंद है। भाजपा ने इस आरोप को फडणवीस के खिलाफ एक बदनाम करने की साजिश बताते हुए खारिज कर दिया है और इसे विपक्षी दलों की रणनीति करार दिया है।