मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीज ने रविवार को अलंदी शहर में श्रद्धालुओं पर लाठीचार्ज की खबर का खंडन किया है। उन्होने कहा कि पुलिस ने श्रद्धालुओं पर लाठी नहीं चलाई है। भगवान विट्ठल के भक्तों और पुलिस के बीच हल्की झड़प हुई थी, लेकिन पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज नहीं किया था। फडणवीज ने कहा कि वारकरी समुदाय के लोगों पर पुलिस ने किसी भी तरह का लाठीचार्ज नहीं किया। बता दें कि पुणे शहर से 20 किलोमीटर दूर संत ज्ञानेश्वर महाराज समाधि मंदिर के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा हुए थे। श्रद्धालु यहां विट्ठल मंदिर से यात्रा निकालते हैं, इसी दौरान श्रद्धालुओं की पुलिस से झड़प हुई थी। दरअसल मंदिर में सिर्फ 75 सदस्यों को ही प्रवेश की अनुमति है, लेकिन इसकी जगह 400 लोग घुसने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान पुलिस और वारकरी के बीच झड़प हुई थी। फडणवीस का कहना है कि यह मामूली हाथापाई थी, वारकरी पर कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया है। फडणवीस ने कहा कि पिछले साल भी हमने उसी जगह पर भगदड़ को देखा था। विभिन्न समूहों के लोगों को सीमित रखने के लिए उन्हें प्रवेश दिया गया था। हर समूह से 75 लोगों को पास जारी किया गया था। लेकिन 500 से अधिक लोग उसमे जबरन घुसने की कोशिश करने लगे। वहीं विपक्ष का कहना है कि पुलिस ने आलंदी में वारकरी भक्तों पर लाठीचार्ज किया है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट करके लिखा, हिंदुत्व को लेकर सरकार का ढोंग उजागर हो गया है, इन लोगों का नकाब उतर गया है। औरंगजेब कैसे अलग बर्ताव कर रहा था, महाराष्ट्र में मुगलों का फिर से जन्म हुआ है। एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा कि पुलिस ने वारकरी बंधुओं पर लाठियां बरसाई हैं, यह बेहद अपमानजनक है। वारकरी संप्रदाय की नींव रखने वाले महान संत ज्ञानेशअवर महाराज के भक्तों का यह अपमान है। यह निंदनीय है। आखिर इसका कौन उत्तरदायित्व लेगा।