मुंबई। पंचायतीराज मंच की अगुआई में अखिल भारतीय सरपंच परिषद (एबीवीपी) ने 9 जनवरी को राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इसका उद्देश्य सरपंचों और ग्राम पंचायत कर्मचारियों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले विशेष कानून को लागू करवाना और हाल ही में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के खिलाफ विरोध जताना है। एबीवीपी ने राज्यभर की ग्राम पंचायतों में संतोष देशमुख को श्रद्धांजलि दी और उनकी हत्या पर कड़ा विरोध जताते हुए गुरुवार को एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की। परिषद ने इस फैसले की सूचना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजीत पवार और ग्रामीण विकास मंत्री जयकुमार गोरे को ईमेल के माध्यम से दी है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना और राजस्थान हाई कोर्ट के फैसलों का समर्थन करते हुए सरपंचों को “लोक सेवक” का दर्जा दिया है। फैसले के अनुसार, यदि कोई सरपंच शिकायत दर्ज करता है, तो सरकारी कार्य में बाधा डालने पर आईपीसी की धारा 353 और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 132 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
सरपंच परिषद की प्रमुख मांगें:
सरपंचों और ग्राम पंचायत कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए विशेष अधिनियम बनाया जाए।
प्रत्येक ग्राम सभा के लिए अनिवार्य पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
सरपंचों को बीमा कवर और पेंशन का प्रावधान किया जाए।
मासिक ग्राम पंचायत बैठकों में गैर-ग्रामीणों की उपस्थिति पर कानूनी प्रतिबंध लगाया जाए।
सरपंचों की भूमिका का महत्व
बयान में कहा गया है कि गांवों के विकास और समाज सेवा में योगदान देने वाले सरपंचों और ग्राम पंचायत कर्मचारियों के लिए कानूनी संरक्षण आवश्यक है। हड़ताल के माध्यम से सरकार पर दबाव डालने और इन मांगों को लागू करने की दिशा में यह कदम उठाया गया है।