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मनोज कुमार अग्रवाल
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के बाद भारतीय रेलवे की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगने लगे हैं। शनिवार रात नईदिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 12 से अधिक लोग घायल हैं। पूर्व में भी महाकुंभ के दौरान रेलवे प्लेटफार्म पर ऐन वक्त पर ट्रेन का प्लेटफार्म बदलने पर भगदड़ में लोगों की जान जाने की बड़ी दुर्घटना घटित हुई थी। प्रयागराज जंक्शन पर बारह वर्ष पूर्व 2013 के महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ हुई थी। उसमें 42 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी, जबकि 46 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए। ठीक 12 वर्ष बाद, 15 फरवरी को नई दिल्ली स्टेशन पर उसी घटना की पुनरावृत्ति हुई है। हमारी सरकार और उसकी मशीनरी पुरानी दुर्घटनाओं के बुरे अनुभव से भी कोई सबक नहीं लेते हैं वरना इस हादसे को टाला जा सकता था। दिल्ली रेलवे स्टेशन देश का एक प्रमुख और अत्यधिक भीड़-भाड़ वाला रेलवे स्टेशन है, यह घटना उस समय घटी, जब बड़ी संख्या में यात्री एक विशेष ट्रेन के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही ट्रेन का वक्त पास आया, भीड़ भगदड़ में बदल गई। यह भगदड़ इतनी भयावह थी कि इसमें 18 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हो गए। यह घटनाक्रम एक बार फिर भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी कमजोरियों को उजागर करता है।
इस दुखद और हृदय विदारक घटनाक्रम के बाद सबसे पहला और प्रमुख सवाल यह उठता है कि इस घटना के लिए भारतीय रेलवे प्रशासन जिम्मेदार है या नहीं ? रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ की स्थिति को नियंत्रित करने में विफलता, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करना, और आपातकालीन प्रतिक्रिया की कमी यह सब भारतीय रेलवे के जिम्मेवार विभागों की लापरवाही को दर्शाते हैं। रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भारतीय रेलवे की होती है, लेकिन इस घटना में साफ दिखता है कि उपयुक्त योजना और प्रबंधन की कमी थी। यदि, रेलवे प्रशासन ने समय रहते उपाय किए होते, तो इस तरह के भयानक परिणाम से बचा जा सकता था। केवल रेलवे ही नहीं, बल्कि राज्य और केंद्रीय प्रशासन भी इस घटना के जिम्मेदार हैं। भारतीय रेलवे के लिए सुरक्षा उपायों का निर्धारण सरकार के स्तर पर होता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे बड़े स्थानों पर पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल और पुलिस मौजूद रहे ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति का सामना किया जा सके। राज्य सरकार की ओर से रेलवे स्टेशनों पर यात्री सुरक्षा को लेकर किए गए उपायों की समीक्षा करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के बाद 25 फुट चौड़े फुटओवर ब्रिज तक जाने वाली 42 पायदान की एक संकरी सीढ़ी पर लोगों का सामान जहां-तहां बिखरा नजर आया। सीढ़ियों, पुल और प्लेटफार्म 14 और 15 पर बिखरे हुए चप्पल, फटे बैग, महिलाओं के दुपट्टे,पानी की बोतलें और लावारिस सामान शनिवार रात की त्रासदी की भयावहता को बयां कर रहे थे। यह हादसा शनिवार रात लगभग दस बजे हुआ जब हजारों यात्री, जिनमें से कई महाकुंभ तीर्थयात्री थे, स्टेशन पर उमड़ पड़े। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन की घोषणा में गड़बड़ी के कारण भ्रम और घबराहट की स्थिति पैदा हो गई। दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह भ्रम समान शुरुआती नाम वाली दो ट्रेन की घोषणा के कारण हुआ क्योंकि इन ट्रेन के नाम ‘प्रयागराज’ शब्द से शुरू हो रहे थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रयागराज स्पेशल’ के प्लेटफॉर्म 16 पर आने की घोषणा से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, क्योंकि ‘प्रयागराज एक्सप्रेस’ पहले से ही प्लेटफॉर्म 14 पर थी। जो लोग प्लेटफॉर्म 14 पर अपनी ट्रेन तक नहीं पहुंच पाए, उन्हें लगा कि उनकी ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 पर आ रही है, जिसके कारण भगदड़ मच गई।’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा, प्रयागराज जाने वाली चार ट्रेन थीं, जिनमें से तीन देरी से चल रही थीं, जिससे प्लेटफार्म पर अप्रत्याशित रूप से भीड़ बढ़ गई थी।
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु के अनुसार पटना जाने वाली मगध एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म संख्या 14 पर खड़ी थी और नई दिल्ली-जम्मू उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म संख्या 15 पर खड़ी थी। उन्होंने भगदड़ का कारण बताते हुए कहा, ‘‘कुछ लोग ‘फुटओवर ब्रिज’ से प्लेटफॉर्म संख्या 14 और 15 की ओर सीढ़ियों से उतर रहे थे, तभी वे फिसलकर अन्य लोगों पर गिर गए।” उन्होंने यह भी बताया कि घटना के बाद यह अफवाह फैलने लगी कि गाड़ियों का प्लेटफॉर्म बदलने के कारण भगदड़ मची, जिससे यह दुर्घटना हुई,ऐसा नहीं है गाड़ियों का प्लेटफॉर्म बदलने के बारे में जो खबरें फैल रही हैं, वह पूरी तरह से निराधार हैं। कोई ट्रेन न तो रद्द की गई थी और न ही किसी ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदला गया था। उन्होंने आगे बताया कि इस दौरान रेलवे ने पांच से छह मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया था, लेकिन ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने के बारे में कोई सच्चाई नहीं है। रेलवे सीपीआरओ ने यह भी पुष्टि की कि रात भर सामान्य रूप से ट्रेनें चलती रहीं और स्थिति अब पूरी तरह से सामान्य है। उन्होंने जनता से अपील की कि अफवाहों पर ध्यान न दें और घटना की जांच चल रही है।
रेल मंत्रालय ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के एक दिन बाद रविवार को कहा कि भविष्य में ऐसी किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए कई उपाय किए गए हैं। भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। मंत्रालय की ओर से बताया गया कि यह निर्णय लिया गया है कि प्रयागराज की ओर जाने वाली सभी विशेष ट्रेनें प्लेटफॉर्म नंबर 16 से चलाई जाएंगी। इसलिए, प्रयागराज जाने के इच्छुक सभी यात्री नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के अजमेरी गेट की तरफ से आएंगे और जाएंगे। शेष सभी प्लेटफॉर्म से नियमित ट्रेनें हमेशा की तरह चलती रहेंगी। यह उपाय ज्यादा भीड़भाड़ वाले समय में भीड़ को एक प्लेटफॉर्म पर इकट्ठा होने से रोकने की दिशा में एक कदम है।
यह एक दुखद हादसा है जिसमें कई परिवारों ने अपने परिजनों को गंवा दिया है, जो लोग रिजर्वेशन करा कर रेलयात्रा के जरिए कुम्भ पहुंचना चाहते थे उनका क्या कसूर था। महाकुंभ के दौरान तमाम ट्रेनों पर भीड़तंत्र का कब्जा हो गया है। टिकट वाले यात्रियों को ट्रेन में घुसने नहीं दिया जा रहा है और बिना टिकट वाले लोग शारीरिक बल पर बलात आरक्षित डिब्बों में घुस कर सफर कर रहे हैं । भीड़ इतनी कि टिकट चैक करना तो दूर यात्रियों की गिनती भी नहीं की जा सकती है। क्या हमारी सरकारें इसी व्यवस्था के बूते पर एक वैश्विक आयोजन का प्रचार प्रसार करने में लगी थी? यह वास्तव में सरकार और तंत्र की नासमझी और नाकामी है जिसको स्वीकार कर भविष्य के लिए सबक लेना चाहिए।