
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान चर्चगेट स्थित मुंबई विश्वविद्यालय के मैडम कामा गर्ल्स हॉस्टल की खराब स्थिति को लेकर विपक्षी विधायकों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। विजय वडेट्टीवार, असलम शेख, नाना पटोले और अमित पटेल सहित वरिष्ठ विधायकों ने छात्राओं की सुरक्षा, पेयजल, खराब ढांचा और निरीक्षण की कमी जैसे मुद्दों को उठाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सात मंजिला हॉस्टल में केवल एक कूलर और दो पंखे कार्यरत हैं, कैंटीन बंद है, बाथरूम की खराब स्थिति से छत से पानी रिसता है, और वार्डन दिन में सिर्फ दो घंटे ही उपस्थित रहता है। इसके अलावा, पहले से की गई शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं होने का दावा किया गया।
इन आरोपों पर जवाब देते हुए उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने सभी प्रमुख आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हॉस्टल सभी मानकों को पूरा करता है। उन्होंने बताया कि बीएमसी से प्रतिदिन 25,000 लीटर पानी मिल रहा है, चार वाटर कूलर और 32 कार्यशील पंखे मौजूद हैं, और कैंटीन केवल 10 दिन बंद रही थी, जिसे अब दोबारा शुरू कर दिया गया है। उन्होंने यह भी माना कि दूसरी मंजिल पर बाथरूम में लीकेज के कारण छत में मामूली रिसाव हुआ था, जिसे तत्काल मरम्मत कर दिया गया। पाटिल ने कहा कि हॉस्टल में 24×7 अधीक्षक, सुरक्षाकर्मी और सहायक स्टाफ मौजूद हैं और सभी रखरखाव कार्य समय पर किए जा रहे हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि “निष्क्रियता या देरी का कोई सवाल ही नहीं उठता” और यह आरोप कि विधायकों की शिकायतों पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया, झूठा है। लेकिन विपक्ष इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। उन्होंने सरकार से नियमित निरीक्षण, छात्रों की समस्याओं पर त्वरित कार्यवाही और मजबूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की मांग की। इस बहस ने राज्य भर में छात्रावासों की दुर्दशा और छात्रों की सुरक्षा व सुविधा की जिम्मेदार प्रशासनिक निगरानी को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है, जिससे उत्तरदायित्व और पारदर्शिता की मांग और तेज हो गई है।