मुंबई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़े साइबर अपराध रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो अमेरिकी नागरिकों को ठगने के लिए उभरती तकनीक और आभासी संपत्तियों का उपयोग कर रहा था। कुछ सप्ताह पहले मलाड से एक आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद, सीबीआई को इस अपराध से जुड़े तीन और व्यक्तियों की जानकारी मिली है। ये तीनों आरोपी, ठगी की रकम को उपहार कार्ड और बिटकॉइन के रूप में प्राप्त करते थे। इस मामले की शुरुआत सितंबर में हुई, जब सीबीआई ने एक आभासी संपत्ति और बुलियन-समर्थित साइबर अपराध नेटवर्क के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोपी व्यक्तियों ने 2022 से विदेशी नागरिकों, खासकर अमेरिका में, को निशाना बनाया था। इनमें एक 70 वर्षीय अमेरिकी महिला शेरोन ए. जॉनसन भी शामिल थीं। जॉनसन को एक तकनीकी सहायता सेवा के बहाने संपर्क किया गया और यह दावा किया गया कि उनके बैंक खाते से छेड़छाड़ की गई है। पहले, आरोपी ने माइक्रोसॉफ्ट के प्रतिनिधि बनकर जॉनसन के कंप्यूटर तक रिमोट एक्सेस प्राप्त किया। फिर, एक और आरोपी ने उन्हें फोन करके कहा कि उनका बैंक खाता जोखिम में है। आरोपी ने खुद को अमेरिकी बैंक वेल्स फार्गो के धोखाधड़ी विभाग का अधिकारी बताते हुए झूठी सूचना दी और उनके बैंक खातों को सुरक्षित रखने के नाम पर क्रिप्टो वॉलेट में फंड ट्रांसफर करने के लिए उकसाया।
ठगी के नेटवर्क का भंडाफोड़ और गिरफ्तारी
जांच के दौरान पाया गया कि अमेरिका से संपर्क करने के लिए इस्तेमाल किए गए फोन नंबर का आईपी एड्रेस भारत में था। इसके आधार पर, सीबीआई ने मुंबई के विष्णु राठी को गिरफ्तार किया। उसके पास से 57 सोने की बार और 16 लाख रुपये नकद बरामद हुए। इसके बाद जांच में राठी के अलावा उसके रिश्तेदार और कोलकाता के दो और व्यक्ति- नाजिया असलम और रोमेन अग्रवाल – की संलिप्तता का पता चला, जो इस ठगी नेटवर्क का हिस्सा थे। इस मामले में सीबीआई की जांच जारी है ताकि अन्य संलिप्त लोगों की पहचान की जा सके और इस तरह के साइबर अपराधों पर रोक लगाई जा सके।