मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी है। जस्टिस ए एस गडकरी के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा कि जमानत का आग्रह करने वाली नवलखा की याचिका को स्वीकार किया जाता है। 2017 में एल्गार परिषद् के सम्मलेन में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को अरेस्ट किया गया था। पुलिस ने दावा किया था परिषद् के सम्मेलन से ही कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी। नवलखा को जमानत देने के फैसले के वक्त राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अदालत से छह सप्ताह की अवधि के लिए आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का आग्रह किया, ताकि वह सुप्रीम कोट में अपील दायर कर सके। इस पर पीठ ने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी।
2018 में हुई थी गिरफ्तारी
अगस्त 2018 में गिरफ्तार किए गए नवलखा को पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी। वह फिलहाल नवी मुंबई में हैं। हाईकोर्ट ने नवलखा को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी। वह इस मामले में जमानत पाने वाला सातवें आरोपी हैं। इस साल अप्रैल में एक विशेष अदालत ने नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत हैं कि कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे। बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर अपनी अपील में नवलखा ने कहा कि विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करके गलती की है।
दूसरी बार हाईकोर्ट गए थे नवलखा
नियमित जमानत के लिए हाई कोर्ट में नवलखा की यह दूसरे दौर की अपील है। पिछले साल सितंबर में विशेष एनआईए अदालत द्वारा नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने पूर्व में हाई कोर्ट का रुख किया था। एनआईए ने तब नवलखा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी भर्ती के लिए उन्हें पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के जनरल से मिलवाया गया था, जो संगठन के साथ उनकी सांठगांठ को दर्शाता है। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि जमानत आवेदन पर विशेष अदालत द्वारा नए सिरे से सुनवाई की आवश्यकता है, और मामले को वापस संबंधित अदालत में भेज दिया था। नीचे की अदालत से उनकी बेल खारिज हो गई थी।