मुंबई। मुंबई की एक अदालत ने मुंबई पुलिस की अर्जी को स्वीकार करते हुए उसे ‘फर्जी टीआरपी’ मामले को वापस लेने की अनुमति बुधवार को दे दी। इस मामले में कुछ टीवी चैनलों पर फर्जीवाड़ा कर अपने दर्शकों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप था। एस्पलेनैड अदालत के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष दाखिल अर्जी में अभियोजन पक्ष ने कहा कि मामले को आगे ले जाने के लिए कोई ‘पीड़ित’सामने नहीं और पुलिस मानती है कि इसमें दोषसिद्धि नहीं हो पाएगी। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च कॉउंसिल (बार्क) द्वारा अक्टूबर 2020 में की गई शिकायत के आधार पर पुलिस द्वारा दर्ज मामले में पत्रकार अर्णब गोस्वामी का भी नाम बतौर आरोपी है। अदालत ने बुधवार को मामले को वापस लेने की अनुमति दे दी। हालांकि, विस्तृत आदेश की अबतक प्रति उपलब्ध नहीं हुई है। विशेष लोक अभियोजक शिशिर हीरे ने बहस के दौरान कहा कि जांच कर्ताओं को उम्मीद थी कथित टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) में छेड़छाड़ के पीड़ित (बयान दर्ज कराने के लिए) सामने आएंगे लेकिन खुद को ठगा महसूस करने वाला एक व्यक्ति भी नहीं आया। गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिए। अभियोजन पक्ष ने कहा इसको देखते हुए, अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए हम महसूस करते हैं कि मामला दोषसिद्धि तक नहीं जाएगा और यह केवल न्यायपालिका के समय और सरकार की कोशिश की बर्बादी होगी। बार्क ने अक्टूबर 2020 में हंसा रिसर्च ग्रुप की शिकायत दर्ज की और आरोप लगाया कि कुछ टेलीविजन चैनल ने टीआरपी के आंकड़ों में छेड़ाछड़ की है। पुलिस द्वारा दायर एक पूरक आरोप पत्र में आरोप लगाया गया कि अर्नब गोस्वामी ने सह-अभियुक्त एवं बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के साथ मिलकर टीआरपी के साथ छेड़छाड़ की।