
नासिक। नासिक सिंहस्थ कुंभ 2026-27 की तैयारियों के बीच महाराष्ट्र सरकार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से बड़ा झटका लगा है। गोदावरी नदी तट के तपोवन क्षेत्र में प्रस्तावित ‘साधु ग्राम’ के लिए पेड़ काटने के मामले में एनजीटी ने सख्त रुख अपनाते हुए नासिक महानगरपालिका को 15 जनवरी तक एक भी पेड़ न काटने का आदेश जारी किया है। यह फैसला धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण और पर्यावरण संवेदनशील तपोवन क्षेत्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है। तपोवन में साधु ग्राम निर्माण योजना के तहत 1700 से अधिक पेड़ों की कटाई का प्रस्ताव रखा गया था। यह क्षेत्र गोदावरी नदी का प्रमुख हरित पट्टा होने के साथ धार्मिक और पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। योजना सामने आते ही स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण समूहों में भारी विरोध शुरू हो गया। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता श्रीराम पिंगले द्वारा वृक्ष कटाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने तुरंत हस्तक्षेप किया। अधिकरण ने नासिक महानगरपालिका को पेड़ न काटने का निर्देश देने के साथ ही वृक्ष कटाई से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है। साथ ही 8 दिसंबर को कार्यकर्ताओं के साथ हुई चर्चा के आधार पर साधु ग्राम के वैकल्पिक विकल्पों पर विचार करने के निर्देश भी दिए गए। नासिक में नागरिकों ने #SaveTapovan अभियान के माध्यम से वृक्ष कटाई का खुले तौर पर विरोध किया। सोशल मीडिया पोस्ट, वीडियो और हस्ताक्षर अभियान के जरिए हजारों लोगों ने आपत्ति जताई। नगर निगम की नोटिस पर मात्र 12 दिनों में 900 से अधिक आपत्तियां दाखिल की गईं। 11 नवंबर को हुई सार्वजनिक सुनवाई में भी व्यापक विरोध सामने आया। महानगरपालिका ने सफाई देते हुए कहा कि केवल 10 वर्ष से कम उम्र के छोटे पौधे व झाड़ियां हटाई जाएंगी, जबकि बरगद और पीपल जैसे 40 से 100 वर्ष पुराने वृक्षों को संरक्षित रखा जाएगा। नगर निगम ने यह भी दावा किया कि प्रत्येक पेड़ के बदले 10 पौधों का रोपण किया जाएगा और कुछ पेड़ों को विशेषज्ञों की मदद से अन्य स्थानों पर स्थानांतरित भी किया जाएगा। इस बीच, कुंभ मेला मंत्री गिरीश महाजन ने तपोवन का दौरा कर कार्यकर्ताओं से संवाद किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी और गोदावरी नदी में सतत जल प्रवाह के लिए प्रयत्न जारी हैं। पाशीचा डोंगर और पेठ रोड क्षेत्र में नए वृक्षारोपण अभियान शुरू करने की भी घोषणा की गई। एनजीटी का यह आदेश न केवल तपोवन के हरित क्षेत्र को संरक्षण देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि कुंभ मेले जैसी विशाल धार्मिक परियोजनाओं में पर्यावरणीय संतुलन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।




