ठाणे। मीरा रोड के नया नगर पुलिस स्टेशन से जुड़ा कांस्टेबल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की ठाणे इकाई के जाल में फंस गया, जब उसे मंगलवार देर रात १ लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। यह घटना मीरा भयंदर-वसई विरार (एमबीवीवी) पुलिस के लिए एक गंभीर शर्मिंदगी का कारण बनी है। आरोपी कांस्टेबल की पहचान भयंदर (पूर्व) निवासी प्रथमेश पाटिल के रूप में हुई है। उसने ४५ वर्षीय शिकायतकर्ता के परिजनों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में बी-समरी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए ४.५ लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसे बाद में घटाकर १ लाख रुपये पर लाया गया। शिकायतकर्ता ने यह जानकारी एसीबी की ठाणे इकाई को दी, जिसके बाद पुलिस निरीक्षक रूपाली पोल के नेतृत्व में एक टीम ने कार्रवाई करते हुए पाटिल को रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
क्या है बी-समरी रिपोर्ट का मतलब?
बी-समरी रिपोर्ट पुलिस की एक कार्यवाही है जो बताती है कि जांच पूरी हो चुकी है और मामला या तो झूठा है या गलत व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है। यह रिपोर्ट आरोपी को झूठे मुकदमे या गलत आरोपों से बचाने में मदद करती है।भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
कांस्टेबल पाटिल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, १९८८ की धारा ७ और १२ के तहत नया नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। एफआईआर में बोरीवली के योगी नगर निवासी सहायक पुलिस निरीक्षक अमित अवहाल को भी आरोपी बनाया गया है, जो अब तक फरार है। अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में आगे की जांच की जा रही है और अन्य संभावित आरोपियों पर भी नजर रखी जा रही है। एसीबी की इस कार्रवाई से एमबीवीवी पुलिस की छवि को झटका लगा है और इससे पुलिस विभाग में ईमानदारी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।