मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शुक्रवार को जोर दिया कि उनकी पार्टी अगले साल लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 में से 23 सीट पर लड़ेगी। राउत ने यह भी कहा कि सीट बंटवारे के संबंध में कांग्रेस के साथ उनकी बातचीत बिल्कुल शून्य से शुरू होगी, क्योंकि राज्य में उसके (कांग्रेस के) पास कोई भी सीट नहीं है। प्रदेश कांग्रेस ने राउत की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा ने कहा कि शिवसेना के ज्यादातर सांसद अब एकनाथ शिंदे गुट के साथ हैं और कांग्रेस अब महाविकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है। एमवीए गठबंधन में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे-नीत शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) शामिल हैं। राउत ने संवाददाताओं से कहा कि ठाकरे सहित शिवसेना (यूबीटी) के विभिन्न नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी नेताओं- सोनिया गांधी, राहुल गांधी तथा केसी वेणुगोपाल के साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा हमने कहा है कि हम महाराष्ट्र में 23 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं और हम दादरा नगर हवेली से भी चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने जोर दिया कि महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) सबसे बड़ी पार्टी है जबकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। दादरा नगर हवेली के मौजूदा सांसद शिवसेना से हैं। राउत ने कहा हमने तय किया है कि हमने जो सीट जीती हैं उन पर बाद में चर्चा की जाएगी। इसमें कांग्रेस का नाम शामिल नहीं है, क्योंकि उसने महाराष्ट्र में कोई सीट नहीं जीती है। इसलिए राज्य में कांग्रेस के साथ बातचीत शून्य से शुरू करनी होगी। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की इस टिप्पणी पर कि शिवसेना अब विभाजित हो गई है, कटाक्ष करते हुए कहा कि हालांकि कांग्रेस विभाजित नहीं है, लेकिन वह मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव हार गई है। राउत ने कहा किसी भी पार्टी की परीक्षा जमीन पर होती है। हमारी पार्टी के कार्यकर्ता हमारे साथ हैं। भले ही हमारी पार्टी विभाजित हो गई, लेकिन हमने अंधेरी विधानसभा उपचुनाव जीता और आपने (कांग्रेस) कस्बा पेठ विधानसभा उपचुनाव हमारे समर्थन से जीता। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कांग्रेस महागठबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और गठबंधन सहयोगी आगामी चुनाव एक साथ लड़ेंगे। वर्ष 2019 में हुए आम चुनाव में, उद्धव ठाकरे-नीत अविभाजित शिवसेना ने 23 सीट पर चुनाव लड़ा था और उनमें से 18 सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि, एकनाथ शिंदे द्वारा ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने के बाद पार्टी पिछले साल विभाजित हो गई। बाद में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘शिवसेना’ नाम रखने की इजाजत दे दी। पिछले लोकसभा चुनाव में शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने चार सीट जीती थीं, वहीं कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी। चंद्रपुर से निर्वाचित कांग्रेस के एकमात्र सांसद बालू धनोरकर का इस साल के प्रारंभ में निधन हो गया था। संजय निरुपम ने राउत पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवसेना (यूबीटी) अपने दम पर कोई सीट नहीं जीत सकती। निरुपम ने कहा कि कांग्रेस और शिवसेना को एक-दूसरे की जरूरत है। निरुपम ने कहा कि पिछली बार अविभाजित शिवसेना द्वारा जीती गई 18 सीट में से एक दर्जन से अधिक सांसदों ने पाला बदल लिया है। उन्होंने कहा उनके (राउत के) पास इसकी भी गारंटी नहीं है कि शेष सांसद उनके साथ रहेंगे या नहीं। राज्य के एक अन्य कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि महाराष्ट्र में कोई भी गठबंधन प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के परामर्श के बिना संभव नहीं हो सकता। देवड़ा ने कहा मैं संजय राउत से कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र कांग्रेस नेतृत्व के परामर्श के बिना कोई भी गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने राउत की इस दलील पर भी आपत्ति जताई कि 40 विधायकों के शिंदे गुट के साथ जाने के बावजूद, शिवसेना (यूबीटी) महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है। देवड़ा के अनुसार, ‘राउत ने कहा है कि सीट के बंटवारे के लिए कांग्रेस के साथ बातचीत शून्य से शुरू होनी चाहिए। (हालांकि) वह एक ऐसी पार्टी के बारे में बात कर रहे हैं जो विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और (राष्ट्रीय स्तर पर) विपक्षी समूह का नेतृत्व कर रही है।