
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की जेलों में कैदियों की अप्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में मुआवजा देने की नीति को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा के अनुसार, यदि किसी कैदी की जेल में काम के दौरान दुर्घटना, चिकित्सा अधिकारियों की लापरवाही, जेल कर्मचारियों द्वारा मारपीट या कैदियों के बीच विवाद जैसी स्थितियों में मृत्यु होती है और जांच में प्रशासनिक लापरवाही साबित होती है, तो मृतक कैदी के उत्तराधिकारियों को पाँच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। आत्महत्या के मामलों में एक लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। यह नीति राज्य की सभी जेलों पर लागू होगी। हालांकि, वृद्धावस्था, लंबी बीमारी, भागने की कोशिश, जमानत पर रहते हुए या उपचार से इनकार जैसी स्थितियों में मृत्यु होने पर मुआवजा नहीं मिलेगा। प्राकृतिक आपदाओं से मृत्यु के मामले में सरकार की मौजूदा नीति के तहत मुआवजा दिया जाएगा। मुआवजा पाने के लिए संबंधित जेल अधिकारियों को प्रारंभिक जांच, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मेडिकल रिकॉर्ड, पुलिस और कलेक्टर की जांच रिपोर्ट सहित पूरी जानकारी क्षेत्रीय विभाग प्रमुखों को देनी होगी। इसके बाद विस्तृत जांच के आधार पर अंतिम प्रस्ताव पुणे स्थित अतिरिक्त महानिदेशक और महानिरीक्षक (कारागार एवं सुधार सेवाएं) को सौंपा जाएगा, जिनकी सिफारिश के आधार पर सरकार अंतिम निर्णय लेकर मुआवजा देगी। इसके अलावा, जिन अधिकारियों की लापरवाही से मृत्यु हुई है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।