
मुंबई। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मलाड निवासी नरेंद्र सागवेकर को एक बैंक अधिकारी महिला से छेड़छाड़ के मामले में दोषी ठहराते हुए एक साल की सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। यह घटना 26 नवंबर 2020 की है, जब पीड़िता पते का सत्यापन करने के लिए आरोपी के घर गई थी। शिकायतकर्ता बैंक कर्मचारी के अनुसार, आरोपी ने खाता खुलवाने के लिए बैंक में आवेदन किया था। अगले दिन बैंक की प्रक्रिया के अनुसार वह दोपहर करीब 12:30 बजे सत्यापन के लिए उसके घर पहुँची। उस समय सागवेकर घर में अकेला था। पीड़िता ने आरोप लगाया कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब वह लौटने लगी, तो आरोपी ने उसके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया। पीड़िता ने तत्काल बैंक लौटकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दी और मलाड पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया। बचाव पक्ष ने दी यह दलील- आरोपी सागवेकर के वकील ने तर्क दिया कि घटना के वक्त पीड़िता ने न तो शोर मचाया, न ही मदद मांगी, और न ही कोई प्रत्यक्षदर्शी मौजूद था, इसलिए मामला संदेहास्पद है। कोर्ट ने यह कहा- कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि “घटना एक बंद कमरे में हुई थी, इसलिए चश्मदीद गवाह की अपेक्षा करना अव्यवहारिक है।” साथ ही न्यायालय ने माना कि महिलाएं बदनामी के डर से समाज में शोर नहीं मचातीं, यह एक सामान्य सामाजिक व्यवहार है। इस आधार पर न्यायालय ने पीड़िता की गवाही को विश्वसनीय और पर्याप्त मानते हुए आरोपी को दोषी ठहराया।