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वी बी माणिक
मुंबई। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) देश की सबसे बड़ी महानगर पालिका है। जहां ५ आईएएस व एक आईआरएस अधिकारी कार्यरत है उसके बावजूद ये भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में विफल साबित हो रहे है। इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इनके नाक के नीचे स्थित नगर अभियंता कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है, जहां संचालक, नगर अभियंता दिलीप पाटिल से लेकर प्रशासकीय अधिकारी इस भ्रष्टाचार में सभी मिले हुए हैं। यहां रिश्वत लेकर बदली की फाइलों को दबाकर बैठे हुए हैं।
प्रशासकीय अधिकारी बदली में कर रहे भ्रष्टाचार
बीएमसी एच/पूर्व विभाग में कनिष्ठ अभियंता अमोल खामकर, श्रीकृष्ण पाटिल, शाहरुख पठान और कई अभियंताओं के बदली आदेश जारी हुए हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हो रहा है। यही नहीं सहायक अभियंता अजय कुमार पाटिल, दीपक जाधव, सुधीर जाधव, और वैभव लाव्हले समेत अन्य अभियंता पिछले चार साल से अपने पदों पर कार्यरत हैं। इसी तरह, बीएमसी एच/पश्चिम विभाग में दुय्यम अभियंता अक्षय मांजरेकर के बदली आदेश आए हुए १० महीने हो गए हैं, लेकिन वह आदेश को मानने से इंकार कर रहे हैं। इस मामले की शिकायत की जा चुकी है, लेकिन नगर अभियंता कार्यालय में बैठे प्रशासकीय अधिकारी फाइलों को दबाकर बैठे हैं और अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर बदली रोक रखी है। यह सवाल उठता है कि अधिकारियों की कमी और बदली का आपस में क्या संबंध है। एक वार्ड से दूसरे वार्ड में काम करने में अधिकारियों की कमी का क्या लेना-देना है। हकीकत यह हैं नगर अभियंता कार्यालय बाजार बन चुका है यहां पर बदली की फाइल दबाने व मनचाहे वार्ड के लिए मोटी रकम ली जा रही है। जो जांच का विषय हैं। लेकिन दक्षता विभाग खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है।
वहीं सवाल यह उठता हैं क्या बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी व अतिरिक्त आयुक्त इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देंगे ताकि नगर अभियंता कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोका लगाई जा सकते और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाई जा सके। यह जरूरी है कि बीएमसी इस भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कठोर कदम उठाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।