
मुंबई। नागपुर में सोमवार को हुई हिंसा की घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना पर विधानसभा में बयान देते हुए कहा कि महाराष्ट्र एक ‘प्रगतिशील राज्य’ है, जहां जातिगत भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने नागरिकों से सभी त्योहारों को धैर्य और शांति के साथ मनाने की अपील की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि कानून व्यवस्था को हाथ में लेने वाले और पुलिस पर हमला करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कैसे भड़की हिंसा?
मुख्यमंत्री ने बताया कि 17 मार्च की सुबह 11:30 बजे नागपुर शहर के महल क्षेत्र में कुछ संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग करते हुए घास के डंठलों से बनी प्रतीकात्मक कब्र को हटाकर विरोध प्रदर्शन किया। इस घटना के बाद समाज के कुछ वर्गों में आक्रोश फैल गया, जिससे हंसपुरी इलाके में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ। इस हिंसा में 12 बाइकों, दो जेसीबी मशीनों, एक क्रेन और एक चारपहिया वाहन को आग के हवाले कर दिया गया। भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस और हल्के बल प्रयोग का सहारा लेना पड़ा।
पुलिस पर हमला, अधिकारी घायल
इस दौरान पुलिस पर भी हमला किया गया, जिसमें 33 पुलिस अधिकारी और पांच नागरिक घायल हुए। इनमें से तीन नागरिकों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि दो नागरिकों का इलाज जारी है। इतना ही नहीं, पुलिस उपायुक्त स्तर के तीन अधिकारी भी घायल हुए, जिनमें से एक अधिकारी पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए नागपुर के 11 पुलिस थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और राज्य रिजर्व पुलिस बल की पांच टुकड़ियां तैनात की गई हैं। इसके अलावा, क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए चेक प्वाइंट स्थापित किया गया है। घटनास्थल से पत्थरों से भरी एक ट्रॉली और हथियार बरामद किए गए हैं, जिससे यह हमला सुनियोजित प्रतीत होता है। गणेशपेठ और तहसील पुलिस थानों में कुल पांच मामले दर्ज किए गए हैं, और जांच तेज कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से जाति या धर्म की परवाह किए बिना शांति बनाए रखने और सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की। उन्होंने दोहराया कि राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।