
नवी मुंबई। नवी मुंबई और ठाणे सहित मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में हाल के दिनों में हुई सिलसिलेवार चोरियों ने पुलिस को एक समन्वित और रणनीतिक अभियान शुरू करने के लिए मजबूर कर दिया। इस अभियान का नतीजा चौंकाने वाला रहा- कुख्यात चड्डी-बनियान गिरोह का पर्दाफाश हो गया, जिसने लंबे समय से मुंबई और आसपास के इलाकों में दहशत फैला रखी थी। पुलिस ने इस गिरोह को पकड़ने के लिए एक बेहद अनोखी रणनीति अपनाई—एक पानी के टैंकर की मदद से जाल बिछाया गया, जिससे दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा सका। गिरोह का तरीका बेहद शातिर था: वे किसी इलाके में एक किराए का घर लेकर छिप जाते थे और वारदात को अंजाम देने के बाद वैकल्पिक रास्तों से भाग जाते, जिससे उनकी पहचान करना और पकड़ पाना बेहद मुश्किल हो जाता। जांच के दौरान पुलिस को एक अहम सुराग हाथ लगा। गिरोह के एक सदस्य का रिश्तेदार यरवदा जेल में बंद है। इसी सुराग को पकड़ते हुए जांच दल साबे गांव की एक चॉल तक पहुंचा, जहां गिरोह के छिपे होने की संभावना जताई गई थी। लेकिन वहां तक पहुँचने और स्थानीय समुदाय में शक पैदा किए बिना सुराग़ जुटाना एक चुनौती थी। पुलिस ने इसके लिए एक पानी के टैंकर के ज़रिए पीने के पानी की आपूर्ति योजना बनाई और खुद को आम जल आपूर्ति कर्मी के रूप में प्रस्तुत किया। इस योजना के तहत गिरोह की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी की गई और अंततः दो मुख्य आरोपी शाहजी पवार और अंकुश पवारको धर दबोचा गया। दोनों आरोपी महाराष्ट्र के धाराशिव जिले के निवासी हैं। गौरतलब है कि चड्डी-बनियान गिरोह पहले भी कई जिलों में अपनी गतिविधियों के लिए चर्चित रहा है। इनका नाम ऐसे आपराधिक मामलों से जुड़ा है जिनमें रात के अंधेरे में घरों में घुसकर लूटपाट और हिंसा की जाती थी, और अक्सर आरोपी केवल अंडरगारमेंट्स में ही वारदात को अंजाम देते थे, जिससे पहचान छुपी रह सके। इस पूरी कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पुलिस यदि ठान ले, तो अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता। पुलिस अब गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह के अन्य सदस्यों और अन्य वारदातों की कड़ियाँ जोड़ने में जुटी है।