
मुंबई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एयू कॉर्पोरेट एडवाइजरी एंड लीगल सर्विसेज के मालिक ए.खेतान और उनकी फर्म से जुड़े महवेश भट्ट उर्फ माही के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि दोनों ने एक व्यवसायी से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई में चल रही कार्यवाही में अनुकूल आदेश दिलाने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसे बाद में घटाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया। सीबीआई के अनुसार, 27 जनवरी 2025 को एक निजी कंपनी के निदेशक से लिखित शिकायत प्राप्त हुई थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि उनकी कंपनी ने पिछले साल एनसीएलटी (मुंबई) बेंच के समक्ष एक सफल समाधान आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) पूरी होने के बाद एनसीएलटी ने 29 अगस्त 2024 को आदेश सुरक्षित रखा था। हालांकि, आज तक कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। शिकायत के मुताबिक, भट्ट ने शिकायतकर्ता से संपर्क किया और दावा किया कि वह एनसीएलटी मुंबई के सदस्य (न्यायिक) के साथ घनिष्ठ संबंध रखती हैं और मौद्रिक लेन-देन के बदले में कंपनी के पक्ष में अनुकूल निर्णय दिलवा सकती हैं। पहले उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये की मांग की, लेकिन बातचीत के बाद इसे घटाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया। भट्ट ने कई बार “फीस” शब्द का इस्तेमाल रिश्वत के कोड वर्ड के रूप में किया। एफआईआर के मुताबिक, भट्ट ने शुरू में रिश्वत राशि का 50% अग्रिम मांगा था, लेकिन शिकायतकर्ता की असमर्थता के बाद इसे घटाकर 20 प्रतिशत यानी 20 लाख रुपये कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने भट्ट के निर्देश पर 4 फरवरी 2025 को यह राशि बैंक खाते में जमा कराई, जिसका विवरण भट्ट ने दिया था। शेष 80 लाख रुपये की मांग आदेश की घोषणा के दिन नकद भुगतान के रूप में की गई थी, जिसे 14 फरवरी 2025 से पहले सुनाए जाने की बात कही गई थी। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ए. खेतान ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया जा रहा है और उनकी फर्म हमेशा उच्च नैतिक मानकों पर काम करती रही है। उन्होंने जांच में पूरा सहयोग करने की बात कही। खेतान ने यह भी स्पष्ट किया कि महवेश भट्ट उनकी फर्म की कर्मचारी नहीं हैं। सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है और इस हाई-प्रोफाइल मामले के ताज़ा घटनाक्रम पर सभी की नज़र बनी हुई है।