
मुंबई। मुंबई में अपना खुद का घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है— यह केवल एक छत नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत और उम्मीदों का प्रतीक होता है। हालांकि, इस सपने को साकार करने की दौड़ में कई बार लोग ऐसे रास्तों पर चल पड़ते हैं जो देखने में आकर्षक लगते हैं, लेकिन वास्तव में जोखिमों से भरे होते हैं। खासकर तब जब 10 से 30 प्रतिशत तक की बचत के चक्कर में वे निर्माणाधीन (under-construction) प्रॉपर्टी में निवेश करने लगते हैं। जबकि रेडी-टू-मूव-इन फ्लैट्स अधिक सुरक्षित तो होते हैं, लेकिन उनकी कीमत अधिक होती है। हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पारित एक अंतरिम आदेश ने एक बार फिर इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया है। यह आदेश दक्षिण मुंबई के ताड़देव इलाके में स्थित एक बहुमंजिला इमारत ‘विलिंगडन व्यू’ से संबंधित है, जहां भारी निर्माण अवैधताएं पाई गईं। कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 30 जून को इस मामले में सुनवाई के दौरान इमारत में बिना Occupancy Certificate (OC) और बिना अग्निशमन विभाग की No Objection Certificate (NOC) के निवासियों के रहने पर गंभीर चिंता जताई। अदालत के अनुसार, इस इमारत में वर्ष 2010 में निर्माण पूरा हुआ था, और 2011 से ही लोगों ने फ्लैटों में रहना शुरू कर दिया। जबकि 17वीं और 34वीं मंजिल पर आज तक ओसी नहीं मिला है। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने सवाल उठाया कि ऐसे स्पष्ट उल्लंघनों के बावजूद कैसे डेवलपर और निवासी दंड से बचे हुए हैं? कोर्ट ने आगाह किया कि ऐसी अनियमितताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इससे भविष्य में कमला मिल्स जैसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन करना गैर-परक्राम्य (non-negotiable) है, विशेषकर जब बात ऊंची इमारतों की हो। Occupancy Certificate और Fire NOC जैसी बुनियादी कानूनी अनुमतियां न होने पर वहां रहना सीधे तौर पर जीवन को खतरे में डालता है। कोर्ट ने डेवलपर और निवासियों दोनों को चेतावनी दी कि वे दीवानी और आपराधिक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं।