
मुंबई। राज्य सरकार जाति वैधता सत्यापन मामलों की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यदि पिता का जाति प्रमाण पत्र वैध है, तो उसके बच्चों को भी जाति वैधता प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया को भी गति दी जा रही है। यह जानकारी सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने विधान परिषद में दी। वह सदस्य प्रज्ञा सातव द्वारा उठाए गए तारांकित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। मंत्री शिरसाट ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 36 जाति जांच समितियां कार्यरत हैं, जिनमें से 30 समितियों का नेतृत्व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी कर रहे हैं, जबकि शेष छह समितियों का नेतृत्व समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त आयुक्त और मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। पहले कुछ अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी गई थीं, लेकिन अब 29 अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं, जिनमें से 16 ने कार्यभार संभाल लिया है और बाकी जल्द ही कार्यभार ग्रहण करेंगे।
उन्होंने कहा कि जाति सत्यापन प्रक्रिया के लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं और अधिकांश मामलों का समाधान हो चुका है। नये अधिकारियों की नियुक्ति से लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा होगा। पहले एक ही अधिकारी के पास कई मामलों की जिम्मेदारी थी, जिससे देरी होती थी, लेकिन अब नए अधिकारियों की नियुक्ति से प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो जाएगी। मंत्री शिरसाट ने कहा कि हर मामले में गृह निरीक्षण अनिवार्य नहीं होगा और जहां आवश्यक होगा, वहां यह तुरंत किया जाएगा। वर्तमान में जाति जांच समितियों में 40% पद रिक्त हैं, जिन्हें जल्द ही भरा जाएगा। पदोन्नति प्रक्रिया पर भी जल्द निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि पिता का जाति प्रमाण पत्र वैध है, तो उसके बेटे या बेटी को प्रमाण पत्र सीधे प्रदान किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया में तेजी आएगी। सरकार जाति सत्यापन प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठा रही है और भविष्य में इसमें और सुधार किए जाएंगे। इस चर्चा में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, सदस्य अनिल परब, अभिजीत वंजारी, भाई जगताप और सदाभाऊ खोत ने भी भाग लिया।