
नांदेड। महाराष्ट्र पुलिस ने नांदेड जिले के सरकारी अस्पताल के कार्यवाहक डीन और एक डॉक्टर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। इस अस्पताल में 48 घंटों में 31 मरीजों की मौत हुई थी। अधिकारी ने बताया कि डॉ.शंकर राव चव्हाण राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के कार्यवाहक डीन एस.आर.वाकोडे और बाल रोग विभाग के प्रमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि यह प्राथमिकी एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है जिसकी बेटी और नवजात शिशु की मौत हो गई थी। अधिकारी ने बताया कि अस्पताल के दोनों अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा-34 (साझा मंशा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। अधिकारियों ने बताया कि 30 सितंबर से अगले 48 घंटे में अस्पताल में नवजातों सहित 31 मरीजों की मौत दर्ज की गई थी जबकि दो और तीन अक्टूबर को छह और मरीजों की जान चली गई। प्राथमिकी के मुताबिक 21 वर्षीय गर्भवती महिला अंजलि को 30 सितंबर को रात आठ बजे अस्पताल लाया गया। अंजलि के पिता कामजी टोम्पे ने शिकायत में बताया कि उनकी बेटी ने 30 सितंबर की देर रात करीब एक बजे बेटी को जन्म दिया और डॉक्टरों ने बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों सेहतमंद हैं। शिकायत के मुताबिक बाद में सुबह अंजलि का रक्तस्राव होने लगा और नवजात की तबीयत भी बिगड़ गई। इसके बाद डॉक्टरों ने परिवार के सदस्यों से दवाएं, खून की थैली और अन्य सामान बाहर से लाने को कहा। टोम्पे ने बताया कि जब सामान लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर वार्ड में मौजूद नहीं थे। उन्होंने आगे दावा किया कि वाकोडे ने जानबूझकर उन्हें अपने पास बैठा लिया और अंजलि की जांच करने के लिए किसी डॉक्टर या नर्स को नहीं भेजा। शिकायत के मुताबिक, डॉक्टरों ने अंजलि की बच्ची को दो अक्टूबर सुबह छह बजे मृत घोषित किया और शव सौंप दिया। बाद में चार अक्टूबर को पूर्वाह्न 10 बजकर 30 मिनट पर अंजलि को भी मृत घोषित कर दिया गया। टोम्पे ने आरोप लगाया कि डीन ने जानबूझकर डॉक्टरों को अंजलि का इलाज करने नहीं दिया एवं डॉक्टरों ने परिवार के सदस्यों से करीब 45 हजार रुपये की दवाएं बाहर से लाने को कहा। उन्होंने दावा किया कि उनकी नजरों के सामने कई और मरीजों की मौत डॉक्टरों, नर्स और दवाओं की अनुपलब्धता की वजह से हो गई।