
मुंबई। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में प्रशासन की नाकामी पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएसमी) के आयुक्त भूषण गगरानी और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के सचिव को मंगलवार को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। यह आदेश वायु प्रदूषण से जुड़ी स्वतः संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला “बोर्ड पर सबसे पहले” सुना जाएगा। अदालत ने याद दिलाया कि 31 अक्टूबर 2023 को उसने बढ़ते प्रदूषण और “बिगड़ते” एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को लेकर स्वतः संज्ञान लिया था। इसके एक महीने बाद हाई कोर्ट ने स्थिति से निपटने के लिए पर्यावरण विशेषज्ञ, आईआईटी के एक विशेषज्ञ और एक सेवानिवृत्त प्रधान सचिव को शामिल करते हुए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। तब से कोर्ट लगातार हालात की निगरानी कर रही है और बीएमसी व एमपीसीबी सहित संबंधित एजेंसियों को एक्यूआई नियंत्रण में रखने के लिए कई निर्देश दे चुकी है। इसके बावजूद हालात में अपेक्षित सुधार न होने पर कोर्ट ने अब शीर्ष अधिकारियों की व्यक्तिगत मौजूदगी अनिवार्य कर दी है, ताकि जवाबदेही तय की जा सके और प्रभावी कदम सुनिश्चित हों।




