Saturday, October 19, 2024
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर यौन शोषण मामले में मांगे जांच से जुड़े दस्तावेज, पुलिस को लगाई फटकार

मुंबई। महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर कस्बे में एक स्कूल में दो नाबालिग बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई शुरू की है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और जांच से जुड़े दस्तावेजों की मांग की है। हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा इन बच्चियों ने शिकायत की है, लेकिन कई मामले दर्ज नहीं किए गए। इन सबके बारे में बोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है। निश्चित रूप से पुलिस ने अपनी भूमिका उस तरह से नहीं निभाई, जैसी उसे निभानी चाहिए थी। अगर पुलिस संवेदनशील होती, तो यह घटना नहीं होती। कोर्ट ने बदलापुर पुलिस को एक पीड़िता का बयान दर्ज करने में देरी के लिए भी फटकार लगाई। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या नाबालिग बच्चियों के बयान धारा 164 के तहत दर्ज किए गए हैं और क्या स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है, अगर उसने मामले पर कोई एक्शन नहीं लिया। इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जिसकी अगुवाई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरती सिंह कर रही हैं। एसआईटी ने मामले की जांच कल से शुरू कर दी है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
अगली सुनवाई अगले हफ्ते
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते मंगलवार को निर्धारित की है। कोर्ट ने इस दौरान एसआईटी से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है, जिसमें एफआईआर, केस डायरी, और अन्य जांच से जुड़े सभी दस्तावेज शामिल होंगे। दूसरी ओर, ठाणे की भिवंडी क्राइम ब्रांच की टीम उस स्कूल में पहुंची जहां यह वारदात हुई थी। टीम सीसीटीवी कैमरा, टीचर्स रूम और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं की जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अपराध के दौरान कोई साक्ष्य नष्ट किया गया था या नहीं।
बदलापुर में तनावपूर्ण माहौल
इस घटना के बाद बदलापुर में भारी तनाव का माहौल है। नाबालिगों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले के सामने आने के बाद मंगलवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके चलते शहर में इंटरनेट सेवाएं निलंबित करनी पड़ी। पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 72 लोगों को गिरफ्तार किया है। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई करना और एसआईटी के गठन के बाद उम्मीद है कि पीड़ितों को जल्द न्याय मिलेगा। मामले की जांच और हाई कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए राज्य प्रशासन को उचित कार्रवाई करनी होगी।

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