
मुंबई। मुंबई में पालतू और आवारा जानवरों के लिए पर्याप्त शवदाह गृहों की कमी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने चिंता जताई है और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने यह स्वतः संज्ञान (सुओ मोटू) जनहित याचिका 11 जून को एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर शुरू की थी, जिसमें देवनार बूचड़खाने में प्रस्तावित विद्युत पशु शवदाह गृह के निर्माण में हो रही देरी की बात सामने आई थी। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने बीएमसी से यह जानकारी मांगी कि क्या शहर में और अधिक विद्युत शवदाह गृहों की योजना बनाई जा रही है और क्या मलाड में स्थापित श्मशान कार्यरत है। बीएमसी की ओर से पेश वकील ऊर्जा धोंड ने बताया कि दक्षिण मुंबई के महालक्ष्मी में एक विद्युत पशु शवदाह गृह पहले से मौजूद है और देवनार में प्रस्तावित सुविधा का काम प्रगति पर है, हालांकि बिजली और गैस कनेक्शन जैसी तकनीकी अड़चनों और मानसून के कारण निर्माण में देरी हुई है। बीएमसी के अनुसार, देवनार की सुविधा की दाह क्षमता 50 किलोग्राम होगी और एक समय में 10-12 किलो वज़न वाले पांच जानवरों के शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा। सितंबर 2023 में बीएमसी ने मलाड में प्राकृतिक गैस आधारित शवदाह गृह शुरू किया था, जिसके बाद देवनार में नई सुविधा की योजना बनी। हाईकोर्ट ने बीएमसी से यह भी पूछा है कि क्या भविष्य में और शवदाह गृहों की स्थापना की जाएगी। यह पहल न केवल पशुओं को गरिमापूर्ण विदाई देने की दिशा में एक संवेदनशील कदम है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और पशु कल्याण के प्रति बढ़ती सामाजिक चेतना का भी प्रतीक है। अदालत ने अगली सुनवाई में बीएमसी से प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।