
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार और पुलिस को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि मानसून के दौरान कोल्हापुर में विशालगढ़ किले के आसपास कोई भी संरचना नहीं गिराई जाए। विशालगढ़ किले में रविवार को अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान हिंसा हुई थी। किले में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, जिसके बाद 500 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और 21 को गिरफ्तार किया गया। रविवार को मराठा राजघराने के वंशज और पूर्व सांसद संभाजीराजे छत्रपति के नेतृत्व में पुणे से आए कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को निषेधाज्ञा के मद्देनजर किले के निचले हिस्से में ही रोके जाने के बाद स्थिति बिगड़ गई थी। न्यायमूर्ति बी.पी. कोलाबवाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि यदि शुक्रवार से विशालगढ़ किला क्षेत्र में कोई भी आवासीय या व्यावसायिक संरचना ध्वस्त की गई तो वह अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करेगी। सरकारी वकील पी.पी. काकड़े ने अदालत को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार के परिपत्र के अनुसार, बरसात के मौसम में विशालगढ़ किला क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के आवासीय परिसर को ध्वस्त नहीं किया जाएगा, चाहे वे याचिकाकर्ता हों या अन्य। अदालत ने काकड़े के बयान पर गौर किया और कहा कि सितंबर तक किसी भी तरह की तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी। अदालत ने 14 जुलाई को क्षेत्र में हुई हिंसा पर भी चिंता जताई। पीठ ने शाहूवाड़ी पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक को 29 जुलाई को अदालत के समक्ष उपस्थित होकर हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया। अदालत शाहूवाड़ी तालुका के कुछ निवासियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अदालत से दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा कथित हिंसा की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आग्रह किया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता एस.बी. तालेकर ने पीठ को कथित हिंसा का एक वीडियो दिखाया। इस पर, पीठ ने किले में कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में चिंता जताई। अदालत ने पूछा ये कैसी कानून-व्यवस्था है? ये आपके (राज्य पुलिस) अधिकारी नहीं हैं, है न? तो ये लोग कौन हैं? क्या आप राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं? हम जानना चाहते हैं कि क्या इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज की गई है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि मराठा राजघराने और राज्यसभा के पूर्व सदस्य संभाजीराजे छत्रपति के नेतृत्व में दक्षिणपंथी कार्यकर्ता शाहूवाड़ी के तहसीलदार द्वारा जारी निषेधाज्ञा के बावजूद किले के तल पर एकत्र हुए। याचिका के अनुसार, जिला प्रशासन ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को विशालगढ़ में प्रवेश करने से रोकने के लिए किले के तल पर पुलिस तैनात की थी, ताकि किले के परिसर में रहने वाले मुस्लिम निवासियों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा हो सके। इसमें आरोप लगाया गया कि निषेधाज्ञा आदेशों के बावजूद, पुलिस ने कम से कम 100 प्रदर्शनकारियों को किले पर चढ़ने की अनुमति दी, जिसके कारण गांव में लगभग दो घंटे तक अराजकता का माहौल बना रहा।