मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोल्हापुर एयरपोर्ट से जुड़े एक भूमि विवाद में निराधार रिट याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने इस मामले को तुच्छ मुकदमेबाजी का उदाहरण बताते हुए इसे न्यायिक समय और संसाधनों की बर्बादी करार दिया। यह विवाद मीनाक्षी बालासाओ मगदुम और उनके परिवार की जमीन से संबंधित है। जीबी इंडस्ट्रीज नाम की एक फर्म ने इस भूमि को लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट के तहत लिया था, जिसकी अवधि मार्च 2020 में समाप्त हो गई। इसके बावजूद, कंपनी ने भूमि पर किरायेदारी के अधिकार का दावा किया और मुआवजे में देरी करने की कोशिश की। याचिकाकर्ता ने भूमि पर अधिकार जताने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि उनका दावा पूरी तरह निराधार और अनुबंध की शर्तों के विपरीत था।
अदालत का सख्त रुख
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर अदालत का 2 घंटे 30 मिनट से अधिक समय बर्बाद किया। अदालत ने इसे तुच्छ मुकदमेबाजी का उदाहरण बताते हुए कहा, “यह प्रवृत्ति न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता और वैध वादियों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाती है।”
अदालत ने कहा कि वादी ने पहले एक सिविल मुकदमे में भी निषेधाज्ञा प्राप्त करने की कोशिश की थी, लेकिन उसमें असफल रहा। बावजूद इसके, उसने न्यायालय का समय बर्बाद करने के लिए यह याचिका दायर की। पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने कहा कि यदि यह राशि दो सप्ताह के भीतर जमा नहीं की गई तो इसे भू-राजस्व के रूप में वसूल किया जाएगा। साथ ही, याचिकाकर्ता की कंपनी की संपत्तियां और साझेदारों की निजी संपत्तियां जब्त करने का आदेश भी दिया जा सकता है।
तुच्छ मुकदमेबाजी की आलोचना
अदालत ने इस प्रवृत्ति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “यह नया चलन बन गया है कि लोग बिना किसी ठोस आधार के अदालत का समय बर्बाद करते हैं।” अदालत ने यह भी कहा कि कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाले साधन-संपन्न वादियों को अनुकरणीय जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।