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मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह हाईकोर्ट रजिस्ट्री द्वारा प्रस्तुत कर्मचारियों की जरूरतों संबंधी प्रस्तावों पर शीघ्र निर्णय ले। अदालत ने कर्मचारियों की भारी कमी से न्यायिक कामकाज पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को गंभीरता से लेते हुए यह आदेश दिया। न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ दिसंबर 2024 में शुरू किए गए एक स्वप्रेरित मामले की सुनवाई कर रही थी। अदालत ने पहले ही स्टाफ की कमी के कारण न्यायिक कार्यों में देरी, फाइलों के गुम होने और डिजिटल बुनियादी ढांचे की अपर्याप्तता पर चिंता जताई थी।
कर्मचारियों की भारी कमी
हाईकोर्ट के प्रोथोनोटरी और सीनियर मास्टर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में 1,254 कर्मचारियों की कमी का खुलासा हुआ था। अदालत ने कहा कि केवल भर्ती करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि तकनीकी रूप से कुशल कर्मचारियों की जरूरत भी महत्वपूर्ण है। हालांकि अदालतें डिजिटल होने का दावा कर रही हैं, लेकिन स्कैनिंग और प्रिंटिंग मशीनों की कमी, ई-फाइलिंग सिस्टम में सीमित अपलोड क्षमता और अपर्याप्त तकनीकी स्टाफ के कारण कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है।
राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश
शुक्रवार को हाईकोर्ट रजिस्ट्री के वकील ने अदालत को सूचित किया कि स्टाफ की जरूरतों को लेकर प्रस्ताव दिसंबर 2024 में राज्य सरकार को भेजे गए थे। इसके अलावा, 20 फरवरी को एक अद्यतन 15-वर्षीय प्रक्षेपण रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई थी। राज्य के वकील अभय पटकी ने आश्वासन दिया कि प्रस्तावों पर बिना किसी बाधा के विचार किया जाएगा। इस पर अदालत ने मामले के शीघ्र समाधान के लिए महाराष्ट्र सरकार के विधि एवं न्यायपालिका विभाग के प्रधान सचिव और उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया।
नए हाईकोर्ट भवन के लिए भी तैयारी जरूरी
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि नई हाईकोर्ट बिल्डिंग के निर्माण को देखते हुए भविष्य में स्टाफ की जरूरतों पर अभी से विचार किया जाए। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद राज्य सरकार पर जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।