
मुंबई/नागपुर। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ से चुनाव याचिका के सिलसिले में नोटिस जारी होने से राज्य की सियासत में हलचल मच गई है। यह नोटिस नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट से 2024 के विधानसभा चुनाव में उनकी जीत को चुनौती देने वाली याचिका पर जारी हुआ है। याचिका कांग्रेस उम्मीदवार प्रफुल्ल वी.गुडाधे ने दायर की थी, जो नवंबर 2024 में फडणवीस से 39,710 वोटों से पराजित हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं और भ्रष्ट आचरण हुआ, और कोर्ट से फडणवीस की जीत को अमान्य घोषित करने की मांग की है। न्यायमूर्ति प्रवीण पाटिल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्यमंत्री को 8 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। गुडाधे की ओर से वकील पवन दहत और एबी मून ने कहा कि चुनाव के दौरान कई आवश्यक प्रावधानों की अनदेखी की गई।
राजनीतिक मायने गहराए
हालांकि भाजपा सूत्रों ने याचिका को “तकनीकी मामला” बताते हुए चिंता की कोई बात नहीं मानी है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “फडणवीस कानून और तथ्यों दोनों के आधार पर मजबूत स्थिति में हैं। लेकिन इस कानूनी कार्यवाही पर विपक्ष के साथ-साथ सत्तारूढ़ महायुति के भीतर भी नजरें टिकी हुई हैं। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खेमे में यह असंतोष जगजाहिर है कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से वंचित किया गया। शिंदे का दावा है कि महायुति की जीत का श्रेय “लाडली बहिन योजना” को है, जो उनकी पहल थी।
अन्य भाजपा विधायकों को भी समन
फडणवीस के अलावा, हाईकोर्ट ने इसी तरह की चुनाव याचिकाओं में नागपुर पश्चिम से भाजपा विधायक मोहन मते और चंद्रपुर जिले की चिमूर सीट से विधायक कीर्तिकुमार भांगडिया को भी नोटिस जारी किया है। प्रफुल्ल गुडाधे के राजनीतिक इतिहास को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनके पिता विनोद गुडाधे दो बार इसी सीट से भाजपा विधायक रह चुके हैं और नारायण राणे सरकार में राज्य मंत्री भी थे। 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति (भाजपा-शिवसेना-राकांपा) ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी, जिसमें 288 में से 230 सीटें महायुति को मिली थीं। इस जीत के बाद देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।