
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई उपनगरीय जिले के कलेक्टर को पवई स्थित नीति रोड पर मौजूद चांदशाहवाली दरगाह की जमीन के स्वामित्व और कथित अतिक्रमण की जांच के लिए संयुक्त सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एम.एस. कार्णिक की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका (PIL) का निपटारा करते हुए दिया।
याचिका में अवैध निर्माण का आरोप
याचिकाकर्ता शब्बीर अब्दुल शेख के वकील लक्ष्मण कालेल ने अदालत को बताया कि फिरोज करीमुल्लाह खान, शबुद्दीन कुरैशी और जाहिद चौधरी सोनी नामक प्रतिवादियों ने कथित रूप से आईआईटी बॉम्बे की जमीन पर अतिक्रमण करते हुए वहां अवैध निर्माण किया है। आरोप है कि जिस जमीन पर कब्जा किया गया है, वह पहले बच्चों के खेलने के लिए खुला स्थान हुआ करता था।
अदालत ने कलेक्टर को दिए सर्वेक्षण के निर्देश
पीठ ने टिप्पणी की, “किसी को भी किसी की जमीन पर अतिक्रमण करने का अधिकार नहीं है।” हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि यह एक “विवादित तथ्य का प्रश्न है,” जिसका निर्धारण अनुच्छेद 226 के अंतर्गत संक्षिप्त कार्यवाही के दौरान नहीं किया जा सकता। इसलिए अदालत ने कलेक्टर को निर्देश दिया कि वह सभी पक्षकारों- जिनमें आईआईटी बॉम्बे के सीईओ भी शामिल हैं- को नोटिस भेजकर एक संयुक्त सर्वेक्षण करें। सर्वेक्षण के दौरान सभी पक्षों को सुना जाए और उन्हें अपने दावों के समर्थन में दस्तावेज पेश करने का अवसर दिया जाए।
कानून के अनुसार कार्रवाई के निर्देश
अगर सर्वेक्षण में यह पाया जाता है कि जमीन आईआईटी बॉम्बे की है और उस पर अतिक्रमण हुआ है, तो कलेक्टर को कानून के अनुसार अनधिकृत निर्माण हटाने की कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।सरकारी वकील ओ.ए. चंदुरकर ने अदालत को आश्वस्त किया कि अगर अतिक्रमण साबित होता है, तो उसे हटाने के लिए आवश्यक पुलिस सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
तीन महीने की समयसीमा तय
अदालत ने पूरी प्रक्रिया को तीन महीने के भीतर पूरा करने का आदेश दिया है। साथ ही यह स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है। यदि कलेक्टर के निर्णय से कोई भी पक्ष असंतुष्ट होता है, तो वह कानून के तहत उपलब्ध उपायों का सहारा ले सकता है।