
मुंबई। राज्य में लोकल बॉडीज़ चुनावों के नतीजों ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है, लेकिन सबसे बड़ा सियासी भूचाल चंद्रपुर ज़िले में देखने को मिला है। विधानसभा चुनाव की लहर के कुछ ही दिनों बाद चंद्रपुर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का अपना गढ़ दरकता नजर आया है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने बीजेपी को उसके ही मजबूत इलाके में करारी शिकस्त देकर ज़िले में कांग्रेस का निर्विवाद दबदबा कायम कर दिया है। चंद्रपुर ज़िले की 11 नगर परिषदों में से 8 में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। विधानसभा चुनाव में महायुति को मिली सफलता के बाद इन नतीजों को पूरी तरह अप्रत्याशित माना जा रहा है। सत्तारूढ़ बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना को महज़ एक-एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा है। इस जीत के साथ विजय वडेट्टीवार ने एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ साबित की है, जिससे विदर्भ में कांग्रेस को नई राजनीतिक ऊर्जा मिली है। हालांकि, इस हार से ज़्यादा चर्चा का विषय बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार के बयान बने हैं। अपने ही ज़िले में मिली हार से नाराज़ मुनगंटीवार ने पार्टी की कार्यशैली और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सीधे सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा- हमें इस हार पर गंभीरता से विचार करना होगा। कांग्रेस ने विजय वडेट्टीवार को महाराष्ट्र का बड़ा नेता बनाया। दूसरी तरफ़ चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया को एक भी मंत्री पद नहीं मिला, मुझे भी नहीं। जिस तरह हम दरवाज़े खोलकर बाहरी लोगों को पार्टी में ला रहे हैं, उसका असर वोटरों पर ज़रूर पड़ता है।”
मुनगंटीवार के इन आरोपों पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शांत लेकिन स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया। उन्होंने पार्टी की भविष्य की नीति को रेखांकित करते हुए कहा- पार्टी में दरवाज़े नहीं होने चाहिए। बीजेपी के दरवाज़े किसी भी व्यक्ति या समुदाय के लिए बंद नहीं हैं। पार्टी खुले विचारों वाली होनी चाहिए। किसी को शामिल करते समय हमें सिर्फ़ यह देखना चाहिए कि वह व्यक्ति सही है या नहीं और पार्टी के लिए फ़ायदेमंद है या नहीं। जिन लोगों को पार्टी में शामिल किया गया है, उससे हमें फ़ायदा हुआ है और हम पूरे महाराष्ट्र में जीते हैं। फडणवीस ने आगे कहा कि यदि चंद्रपुर में कहीं संगठनात्मक कमजोरी सामने आई है, तो उसकी भरपाई नगर निगम चुनावों में की जाएगी। “हम पूरी ताकत के साथ चंद्रपुर नगर निगम में सत्ता लाने की कोशिश करेंगे,” उन्होंने भरोसा दिलाया। चंद्रपुर के नतीजों और बीजेपी के भीतर उठी यह बहस अब राज्य की राजनीति के केंद्र में आ गई है। एक ओर कांग्रेस इसे अपनी ज़मीनी वापसी के संकेत के तौर पर देख रही है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी के लिए यह आत्ममंथन का बड़ा मौका बनकर सामने आया है।




