मुंबई। देश के सबसे बड़े और सबसे अमीर नागरिक निकाय, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के आरोपों को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। शिंदे सरकार ने इस सिलसिले में बीएमसी के पिछले 25 साल का ऑडिट कराने का फैसला किया है। राज्य ने इस संबंध में अपना आदेश जारी कर दिया है और कमेटी गठित की है। राज्य के उद्योग मंत्री व शिवसेना नेता उदय सामंत ने बताया कि मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के पिछले 25 वर्षों के वित्तीय लेनदेन का ऑडिट किया जाएगा। बीएमसी के ऑडिट के लिए सरकार की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट महाराष्ट्र विधानसभा के अगले सत्र में पेश की जायेगी। उन्होंने कहा कि बीएमसी में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है। कमेटी में नियोजन, नगर विकास विभाग के सचिव भी होंगे। बीजेपी विधायक योगेश सागर ने इसकी मांग की थी। इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि पिछले 25 सालों में बीएमसी में बड़ा वित्तीय घोटाला हुआ है। कैग ने मुंबई नगर निगम के 8 नवंबर 2020 से 28 फरवरी 2022 के बीच हुए लेनदेन की जांच की थी। जिसकी रिपोर्ट बेहद चौकाने वाली थी। कैग ने बीएमसी के कामकाज में पारदर्शिता की कमी, पैसों का लापरवाही से उपयोग और योजनाओं में गड़बड़ी की खुलासा किया। कैग की रिपोर्ट को लेकर तब उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा था कि ये तो सिर्फ ट्रेलर है, असली तस्वीर तो अभी आना बाकी है। इसी साल मार्च महीने में महाराष्ट्र अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट-आई) ने बीएमसी को 12 हजार करोड़ रुपये के 76 कामों के विशेष ऑडिट में कुछ खामियों और अनियमितताओं के लिए फटकार लगाई थी। मालूम हो कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और यहां प्रमुख कंपनियों के कार्यालय हैं। इसी तरह केंद्र सरकार की तिजोरी में सबसे ज्यादा टैक्स मुंबई से ही जमा होता है। मुंबई शहर में अरबपतियों की संख्या 100 से ज्यादा है। ऐसे में बीएमसी यानि मुंबई नगर निगम का बजट भी हजारों करोड़ों का होता है। 52 हजार करोड़ रुपये के बजट वाली बीएमसी की सत्ता की चाबी पाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के बीच खींचतान चल रही है। पिछले 30 साल से बीएमसी पर शिवसेना का कब्जा रहा है।