
मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। पांच बार विधायक रह चुके उद्धव गुट के नेता बबनराव घोलप ने गुरुवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान किया। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री घोलप ने शिवसेना (यूबीटी) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों ने कहा कि वह अपने बेटे योगेश घोलप व अन्य स्थानीय नेताओं के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होंगे। हालांकि बबनराव घोलप ने अभी तक अपने अगले राजनीतिक सफर के बारे में कुछ खुलासा नहीं किया है। उद्धव ठाकरे को एक लाइन में लिखे पत्र में वरिष्ठ नेता बबनराव घोलप ने लिखा, मैं ‘शिवसैनिक’ पद से इस्तीफा दे रहा हूँ। घोलप 1990 से 2014 तक नासिक के देवलाली विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक चुने गए थे। एक ओर जहां उद्धव ठाकरे अहमदनगर दौरे पर हैं तो वहीं आदित्य ठाकरे नासिक में हैं, ऐसा में बबनराव घोलप का इस्तीफ बड़ा झटका है। आगामी चुनावों से पहले उनका इस्तीफा नासिक और उत्तर महाराष्ट्र ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
हाल ही में घोलप ने दावा किया था कि पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपनी आशंकाएं और शिकायतें उठाने के बावजूद उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। इससे पहले घोलप ने शिवसेना (यूबीटी) के उपनेता पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया था। कुछ दिन पहले ही बबनराव घोलप ने राष्ट्रीय चर्मकार महासंघ की मांगों को लेकर मुंबई में सीएम शिंदे से मुलाकात की थी। घोलप इस महासंघ के प्रमुख हैं। घोलप ने दावा किया था कि शिंदे ने उनकी मांगें मान ली हैं। बताया जा रहा कि घोलप पिछले कुछ महीनों से नाराज थे। दरअसल उन्हें शिरडी लोकसभा क्षेत्र के लिए शिवसेना (यूबीटी) संपर्क प्रमुख के पद से हटा दिया गया था और उनकी जगह एमएलसी सुनील शिंदे को नियुक्त किया गया था। इसके अलावा, घोलप शिरडी संसदीय क्षेत्र से 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ना चाहते थे। हालाँकि, शिरडी के पूर्व सांसद भाऊसाहेब वाकचौरे के उद्धव खेमे में शामिल होने के बाद इस संसदीय क्षेत्र के लिए उनकी उम्मीदवारी की संभावना भी कम हो गई थी। वाकचौरे बीजेपी के टिकट पर सांसद बने थे। बबन घोलप के बेटे योगेश 2014 में देवलाली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने थे, लेकिन 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी के सरोज अहिरे से हार गए। घोलप ने कहा कि मुझे अचानक शिरडी लोकसभा संपर्क प्रमुख के पद से हटा दिया गया और अपमानित किया गया। मैंने निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाया था और नये पदाधिकारियों की नियुक्ति की थी। लेकिन उन्हें बदल दिया गया और वफादार शिवसैनिक को कहीं जगह नहीं दी।