
मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार एक वीडियो को लेकर विवादों में हैं, जिसमें उन्हें एक महिला आईपीएस अधिकारी को फोन पर डांटते हुए सुना गया। आरोप है कि उन्होंने सोलापुर जिले में अवैध ‘मुरुम’ मिट्टी खनन के खिलाफ चल रही कार्रवाई रोकने के लिए कहा। शुक्रवार को इस मामले पर सफाई देते हुए पवार ने कहा कि उनका उद्देश्य कानून प्रवर्तन में हस्तक्षेप करना नहीं था, बल्कि जमीनी स्तर पर स्थिति को शांत बनाए रखना था। पवार ने कहा- मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि मेरा मकसद कानून प्रवर्तन में हस्तक्षेप करना नहीं था, बल्कि यह सुनिश्चित करना था कि हालात बिगड़ें नहीं और विवाद आगे न बढ़े। उन्होंने आगे कहा कि वह कानून के शासन को सर्वोच्च महत्व देते हैं और पुलिस बल, विशेषकर महिला अधिकारियों, के प्रति उनका गहरा सम्मान है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मिट्टी खनन सहित हर अवैध गतिविधि के खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और पुलिस की कार्रवाई
इस विवाद के बाद पुलिस ने उन कई लोगों पर मामला दर्ज किया है, जिन्होंने आईपीएस अफसर अंजना कृष्णा और अन्य अधिकारियों के काम में रुकावट डाली थी। गुरुवार को सामने आए वीडियो में पवार की बातचीत को लेकर विपक्ष ने उन पर कानून व्यवस्था में हस्तक्षेप का आरोप लगाया।
भतीजे रोहित पवार का समर्थन
एनसीपी (एसपी) के विधायक और अजित पवार के भतीजे रोहित पवार ने चाचा का बचाव करते हुए दावा किया कि यह उनके गठबंधन सहयोगियों द्वारा रचा गया “जाल” है। रोहित ने कहा कि बातचीत को जानबूझकर अलग मोड़ देने की कोशिश की गई। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, अजितदादा को यह देखना होगा कि उनके दोस्त कैसे जाल बिछा रहे हैं। अजित पवार की पार्टी एनसीपी (अजित पवार गुट) वर्तमान में भाजपा और शिवसेना के साथ मिलकर महायुति सरकार का हिस्सा है।